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________________ 454... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक .... 20. वही, 6/19 21. रत्नकरण्डकश्रावकाचार, 139 22. दशाश्रुतस्कन्ध-नवसुत्ताणि, 6/11 23. उपासकदशांग-अभयदेवटीका, पृ.-66 24. (क) श्रावकाचारसंग्रह, भा.-4, प्रस्ता., पृ.-83 (ख) धर्मरत्नाकर, श्लो.-32-33 25. दशाश्रुतस्कन्ध, नवसुत्ताणि, 6/12 26. रत्नकरण्डकश्रावकाचार, 141 27. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गा. 78-79 28. वसुनन्दिश्रावकाचार, 295 29. (क) उपासकाध्ययन, 821 (ख) चारित्रसार, (श्रावकाचारसंग्रह) पृ.-255 30. दशाश्रुतस्कन्ध, 6/23 31. विंशतिविंशिका, 10/14 32. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, 107 33. (क) दशाश्रुतस्कन्ध, नवसुत्ताणि, 6/16 (ख) उपासकटीका, पृ. 67 34. श्रावकाचार, संग्रह, भा. 5, पृ. 375 35. गुणभूषणश्रावकाचार, पृ.-454 36. (क) दशाश्रुतस्कन्ध, नवसुत्ताणि, 6/17 (ख) उपासकटीका-अभयदेवसूरि, पृ.-67 37. वही, 6/27 38. (क) वसुनन्दिश्रावकाचार, 301 (ख) सागारधर्मामृत, 7/37-38 (ग) लाटीसंहिता 56/63 39. जैनेन्द्रसिद्धान्तकोश-भा. 2, पृ. 189 40. जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन भा.-2, पृ.-323 41. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, श्लो.-110 42. लाटीसंहिता, श्लो.-64
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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