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उपासकप्रतिमाराधना विधि का शास्त्रीय विश्लेषण... 435
प्रतिमाधारी है। जो पूर्वोक्त प्रतिमाओं का निर्दोष पालन करते हुए बारह या आठ प्रहर का उपवास करता है और रात्रि में प्रतिमायोग धारण नहीं करता है वह मध्यम है तथा जो पूर्वोक्त प्रतिमाओं को उपवास पूर्वक यथाकिंचित् धारण करता है, वह जघन्य पौषध - प्रतिमाधारी है। 50
5. सचित्तत्याग प्रतिमा- जो श्रावक पूर्वोक्त प्रतिमाओं का निर्दोष पालन करते हुए सचित्त वस्तु के खान-पान का यावज्जीवन के लिए त्याग करता है, वह उत्तमसचित्तत्याग-प्रतिमाधारी है। जो पौषधोपवास के दिन ही सचित्त वस्तुओं का त्याग करता है, वह मध्यम है तथा जो पूर्व प्रतिमाओं का भी यथाकिंचित् पालन करता है और सचित्त वस्तुओं का भी यथा कथंचित् त्याग करता है, जघन्य-प्रतिमाधारी है | 51
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6. रात्रिभुक्तित्याग प्रतिमा - जो व्यक्ति पूर्व की सर्वप्रतिमाओं के साथ दिन में पूर्णत: ब्रह्मचर्य का पालन करता है और अपनी स्त्री की ओर भी राग भाव से नहीं देखता है, वह उत्तम प्रतिमाधारी है। जो पूर्व प्रतिमाओं का पालन करते हुए भी इस प्रतिमा का कथंचित् पालन करता है, वह मध्यम है और जो पूर्व प्रतिमाओं का भी और इस प्रतिमा का भी कथंचित् पालन करता है, वह जघन्य प्रतिमाधारी है। 52
7. ब्रह्मचर्य प्रतिमा- जो साधक पूर्व प्रतिमाओं के साथ त्रिकरण की शुद्धिपूर्वक ब्रह्मचर्यव्रत को धारण करता है, वह उत्तम ब्रह्मचर्यप्रतिमा का धारक है। जो उक्त व्रतों के साथ ब्रह्मचर्य का निर्दोष पालन नहीं करता है, वह मध्यम है तथा जो पूर्व प्रतिमाओं का भी और ब्रह्मचर्य का भी यथावत् पालन नहीं करता है, वह जघन्यब्रह्मचर्य - प्रतिमा धारक है। 53
8. आरम्भत्याग प्रतिमा- जो व्यक्ति पूर्व प्रतिमाओं का निर्दोष पालन करते हुए गृहस्थ के सभी प्रकार के आरम्भ का परित्याग कर देता है और स्वीकृत धन याचकों को दान करते हुए घर में उदासीन भाव से रहता है, वह उत्तम आरम्भत्याग-प्रतिमा का धारक है । जो पूर्वोक्त प्रतिमाओं का सदोष पालन करते हुए आठवीं प्रतिमा का निर्दोष पालन करता है, वह मध्यम है तथा जो पूर्वोक्त प्रतिमाओं का और इस प्रतिमा का कथंचित् सदोष पालन करता है, वह जघन्य- आरम्भत्याग प्रतिमा का धारक है। 54
9. परिग्रहत्याग प्रतिमा- जो पूर्व की आठ प्रतिमाओं का निर्दोष पालन