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उपासकप्रतिमाराधना विधि का शास्त्रीय विश्लेषण ...419 उपासकप्रतिमा का अर्थ गांभीर्य
प्रतिमा का सामान्य अर्थ है-प्रतिपत्ति, प्रतिमान अथवा अभिग्रह। परम्परागत मान्यतानुसार प्रतिमा का एक अर्थ प्रतिज्ञाविशेष, व्रतविशेष, नियमविशेष, तपविशेष और अभिग्रहविशेष भी है। अभिधानराजेन्द्रकोश में 'प्रतिमा' शब्द के निम्न अर्थ किए गए हैं-सद्भाव स्थापना, बिंब, प्रतिबिंब, जिनप्रतिमा और प्रतिज्ञा। यहाँ इसका प्रतिज्ञा अर्थ अभीष्ट है। यहाँ मुनियों की उपासना (सेवा) करने वाला गृहस्थ उपासक कहलाता है और अभिग्रह विशेष को प्रतिमा कहते हैं। इस तरह उपासक द्वारा अभिग्रहीत नियम विशेष उपासकप्रतिमा है। गृहस्थ साधना का एक विशिष्ट प्रयोग करना भी उपासकप्रतिमा कहलाता है। __ यह उल्लेखनीय है कि जैन-ग्रन्थों में उपासक प्रतिमा के नाम से ही यह वर्णन प्राप्त होता है तथा प्रतिमाधारी गृहस्थ श्रमण की भाँति ही विशेष व्रतों का पालन करता है। प्रतिमाओं के विभिन्न प्रकार ___जैनागमों में मूलत: प्रतिमा के पाँच प्रकार निर्दिष्ट है- 1. समाधि प्रतिमा 2. उपधान प्रतिमा 3. विवेक प्रतिमा 4. प्रतिसंलीनता प्रतिमा और 5. एकलविहार प्रतिमा।
1. समाधि प्रतिमा- श्रुत-स्वाध्याय का विशेष संकल्प तथा समता का विशेष अभ्यास करना समाधि प्रतिमा है । समाधिप्रतिमा दो प्रकार की बतलाई गई हैं-1. श्रुतसमाधि प्रतिमा 2. चारित्रसमाधि प्रतिमा। श्रुत समाधि प्रतिमा के छासठ भेद इस प्रकार हैं
आचारांगसूत्र में निम्नोक्त पाँच प्रतिमाओं का उल्लेख है 5. 1. मैं दूसरे भिक्षुओं को अशन, पान, खादिम, स्वादिम लाकर दूंगा और
उनके द्वारा लाया हुआ स्वीकार करूंगा। 2. मैं दूसरे भिक्षुओं को अशन आदि लाकर दूंगा, किन्तु उनके द्वारा लाया
हुआ स्वीकार नहीं करूंगा। 3. मैं दूसरे भिक्षुओं को अशन आदि लाकर नहीं दूंगा, किन्तु उनके द्वारा
लाया हुआ स्वीकार करूंगा।