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________________ सामायिक व्रतारोपण विधि का प्रयोगात्मक अनुसंधान ...233 इससे ध्वनित होता है कि सामायिक की फलवत्ता प्राप्त करने के लिए सामायिकव्रती को अपेक्षित गुणों से युक्त होना चाहिए। जिस व्यक्ति को सामान्य व्रत का भी अभ्यास न हो, वह सामायिक जैसी उत्कृष्ट विरति की साधना कैसे कर सकता है? सामायिक का कर्ता कौन? सामायिक का निर्माता कौन है ? इस सम्बन्ध में विचार किया जाए तो व्यावहारिक दृष्टि से सामायिक का प्रतिपादन तीर्थंकर और गणधर पुरूषों ने किया है। निश्चय दृष्टि के अनुसार सामायिक का अनुष्ठान करने वाला सामायिक का कर्ता है, क्योंकि सामायिक का परिणाम उस अनुष्ठाता से भिन्न नहीं रहता है। इससे स्पष्ट है कि सामायिक का वास्तविक कर्ता सामायिक करने वाला ही है।36 सामायिक में चिन्तन योग्य भावनाएँ जो साधक सामायिक करने के लिए तत्पर है, वह 48 मिनट के काल में समभाव की वृद्धि हेतु 10 मिनट आत्मा का विचार करे। जैसे- मैं कहाँ से आया हूँ , मैं कहाँ जाऊँगा, मैं क्या लेकर आया हूँ , क्या लेकर जाऊँगा, मेरे देव कौन हैं, मेरे गुरू कौन हैं, मेरा धर्म कौनसा है, मेरा कुल क्या है, मेरे कर्त्तव्य कौनसे हैं ? 10 मिनट महामंत्र नवकार का स्मरण करे। 10 मिनट तीर्थ यात्रा की भावना करे। 10 मिनट नया पाठ याद करे तथा अन्तिम 8 मिनट कायोत्सर्ग अथवा स्वाध्याय करें इस तरह सामायिक के श्रेष्ठ काल को पूर्णतः सफल बनाएं। __मन चंचल है, यदि इसे सही मार्ग में न जोड़ा जाए तो समभाव के स्थान पर राग-द्वेष के झंझावात आ सकते हैं अत: भावनाओं को उक्त रीति से सतत जोड़े रखना चाहिए। सामायिक की उपस्थिति किन जीवों में? __कौन से जीव किस सामायिक के आराधक हो सकते हैं? आवश्यकनियुक्ति के अनुसार सम्यक्त्व-सामायिक और श्रुत-सामायिक के अधिकारी चारों गतियों के जीव हो सकते हैं। सर्वविरतिसामायिक के अनुष्ठाता केवल मनुष्य तथा देशविरति-सामायिक के प्रतिपत्ता मनुष्य और
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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