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182... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक
बारहव्रतारोपण विधि में प्रयुक्त सामग्री
इस व्रतारोपण के लिए कौनसी सामग्री आवश्यक कही गई है ? इस विषय से सम्बन्धित कोई विवरण प्राप्त नहीं होता है। एक तो परिग्रह आदि के परिमाण का लेखन पत्रक होना चाहिए। इसके सिवाय अपेक्षित सामग्री हेतु द्वितीय अध्याय देखना चाहिए।
श्रावकव्रत- ग्रहण सम्बन्धी आवश्यक शुद्धियाँ
अभिधानराजेन्द्रकोश में द्वादशव्रत ग्रहण करते समय ध्यान रखने योग्य शुद्धियों का वर्णन इस प्रकार किया है
1. योगशुद्धि - मन से शुभ विचार करना, वचन से निरवद्य भाषण करना एवं काया से उपयोग-पूर्वक गमनागमनादि प्रवृत्ति करना योग शुद्धि है । 2. वंदनशुद्धि- आन्तरिक उत्साह एवं भावविशुद्धि पूर्वक खमासमण, वंदन, कायोत्सर्गादि करना वंदनशुद्धि है।
3. निमित्तशुद्धि- व्रतग्रहण काल में पूर्णकलश, भृंगार ( जलधारा युक्त) कलश, छत्र, ध्वजा, चामर, सुगन्धित द्रव्य (पुष्पादि) की स्थापना करना एवं शंख ध्वनि और मंगल वाद्य का निनाद करवाना निमित्त शुद्धि है। 4. दिक्शुद्धि- पूर्वदिशा, उत्तरदिशा या जिनचैत्य के सम्मुख होकर व्रतोच्चारण करना दिक्शुद्धि है।
5. नियमशुद्धि - द्वादश व्रत पालन का प्रत्याख्यान करते समय राजाभियोग आदि छः आगार खुले रखना नियमशुद्धि है।
6. व्रतशुद्धि - व्रत ग्रहण के दिन जिन प्रतिमा की पूजा करना, वस्त्रोपकरण आदि के द्वारा गुरू की भक्ति करना, दीन- अनाथों के प्रति अनुकम्पा करना, स्वजन एवं साधर्मिक-बन्धुओं का यथाशक्ति सत्कार करना व्रतशुद्धि है। 117
श्रावक के बारहव्रत संबंधी विकल्प
सामान्यतया गृहस्थ श्रावक का प्रत्याख्यान दो करण - तीन योग से होता है, परन्तु सभी जीवों का सामर्थ्य एवं परिस्थिति एक समान नहीं होती। अतः सभी कोई चाहते हुए भी दो करण - तीन योग से द्वादशव्रत को स्वीकार नहीं कर सकते। समस्त आत्माएँ यथाशक्ति श्रावकव्रत अंगीकार कर सकें, इस अपेक्षा से