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________________ 176... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक और राष्ट्र-सेवा तक व्याप्त हो जाती है। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि जो गृहस्थ साधक बारहव्रतों का अतिचाररहित पालन करता है, उसके क्लिष्ट कर्मों का क्षय हो जाता है और वह आध्यात्मिक-पथ पर आगे बढ़ता हुआ सिद्धत्व - पद के सन्निकट पहुँच जाता है। आचार्य हरिभद्रसूरि के मतानुसार पाँच अणुव्रतों एवं तीन गुणव्रतों का यावज्जीवन पालन करना चाहिए, जबकि शिक्षाव्रत निश्चित समय अथवा दिनों के लिए ही ग्रहण किए जाते हैं। श्रावक के एक सौ चौबीस अतिचारों की गणना गृहीतव्रत या नियम में अंशतः दोष लगना अतिचार कहलाता है। जैन श्रावक के जीवन में सम्यक्त्व, संलेखना, पंचाचार एवं बारहव्रत सम्बन्धी 124 अतिचार लगते हैं यानी इन व्रतों में 124 प्रकार से दूषण लगने की संभावना रहती है। अतिचारों की संख्या निम्न हैं सम्यक्त्व के पाँच, संलेखना के पाँच, ज्ञानाचार के आठ, दर्शनाचार के आठ, चारित्राचार के आठ, तपाचार के बारह, वीर्याचार के तीन, कर्मादान के पन्द्रह, बारहव्रत में प्रत्येक के पाँच-पाँच इस प्रकार 55 + 8 + 8 + 8 + 123+ 15 + 60 = एक सौ चौबीस अतिचार होते हैं। 105 श्रावक व्रत एक मनोवैज्ञानिक - क्रम जैनधर्म में श्रावक के व्रत - स्वीकार का क्रम बड़ा वैज्ञानिक है। व्रत ग्रहण करते समय व्रतग्राही अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह को आंशिक रूप से ग्रहण करता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो व्यक्ति आत्मबल और स्वयं के सामर्थ्य के अनुसार कुछ अपवादों के साथ द्वादशव्रतों को ग्रहण करता है। श्रावक द्वारा स्वीकार किए जाने वाले व्रत श्रमण के व्रतों से परिपालन की दृष्टि से न्यून होते हैं, इसलिए उन्हें अणुव्रत कहा जाता है। व्रत अपने आप में महत् या अणु नहीं होता, महत् या अणु विशेषण व्रत के साथ पालक की क्षमता या सामर्थ्य के कारण लगता है। जहाँ साधक अपने आत्मबल में कमी या न्यूनता नहीं देखता, वहाँ वह उस व्रत का पालन सम्पूर्ण रूप से करता है और वे व्रत महाव्रत की संज्ञा पा लेते हैं । जहाँ साधक सीमा और अपवादों के साथ
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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