SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 88... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक .... 4. मिथ्यादर्शनी परिहार 4. उपाध्याय विनय 5. स्थविर विनय 6. कुल विनय 7. गण विनय 8. संघ विनय 9. धार्मिकक्रिया विनय 10. साधर्मिक विनय 5 प्रभावक8 लक्षण5 दूषण(अतिचार)5 1. शंका 1 प्रवचन 1 उपशम 2 कांक्षा 2. धर्मकथा 3 विचिकित्सा | 3. वादशक्ति 4. मिथ्यादृष्टिप्रशंसा | 4. निमित्तज्ञान 5. मिथ्यादृष्टि- 5. तपस्या संस्तव 6. विद्याबल 7. सिद्धि 8. कवित्वशक्ति भूषण 5 1 जिनशासन कुशलता 2 प्रभावना 3. तीर्थसेवना 4. स्थिरता 5. भक्ति 2 संवेग 3.निर्वेद 4. अनुकंपा 5. आस्तिक्य 10 11 12 यतना6 आगार 6 1. वन्दना | 1.राजाभियोग भावनाएँ 6 । स्थानक 6 1. सम्यग्दर्शन धर्म- | 1. आत्मा है। रूपी वृक्ष का । मूल है। 2. सम्यग्दर्शन धर्म- | 2. आत्मा नित्य है। रूपी नगर का द्वार है। 2. नमस्कार 2. गणाभियोग
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy