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________________ 58... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक 6. जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, भा. -2, पृ. - 263 7. (क) जीवविचारप्रकरण, गा.-25 (ख) नवतत्त्वप्रकरण, गा.-55-59 8. उत्तराध्ययनसूत्र, 5/20 9. सूत्रकृतांगसूत्र, सं. - अमरमुनि, 2/2/39 10. छान्दग्योपनिषद्, 7/8/1 11. उपासकदशा, मधुकरमुनि, प्रस्तावना, पृ. - 19-20 पर आधारित 12. आवश्यकनियुक्ति, गा. - 1557 13. सागारधर्मामृत, 1/20 14. अभिधानराजेन्द्रकोष, भा. 7, पृ. 786 15. स्थानांगसूत्र, 4/3/430 16. स्थानांगसूत्र, 4/3/431 17. रत्नकरण्डक श्रावकाचार, गा. -66 18. पुरूषार्थसिद्धयुपाय, गा.-61 19. जैनेन्द्र सिद्धांत कोश, 50 20. पद्मपुराण, 14/202 21. वरांगचरित्त, 22, 29-30 22. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 328 23. उपासकाध्ययन, 8/270 24. भावसंग्रह, 356 25. पंचविंशतिका, 23 26. सुभाषितरत्नसंदोह, 765 27. सागारधर्मामृत, 2/18 28. वही, 2/18 29. चारित्रप्राभृत, 22 30. जैन- आचार: सिद्धांत और स्वरूप, पृ. - 264 31. वही, पृ.-265 32. वसुनन्दिश्रावकाचार, गा. - 59
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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