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चूड़ाकरण संस्कार विधि का उपयोगी स्वरूप... 165
चूड़ाकरण संस्कार का समय
श्वेताम्बर परम्परागत ग्रन्थों में यह संस्कार कब किया जाना चाहिए ? इसका कहीं कोई निर्देश नहीं मिलता है। श्राद्धसंस्कार कुमुदेन्दु में जन्म से सवा वर्ष के भीतर यह संस्कार करने का निर्देश है। वर्तमान परम्परा पर समीक्षा करते हुए यह भी निर्दिष्ट किया है कि जो लोग तीन-तीन वर्ष या आठ-आठ वर्ष तक बाल रखते हैं, वह अनुचित है। 14 दिगम्बर मान्यतानुसार यह कर्म जन्म से पाँच वर्ष पूर्ण होने पर करना चाहिए । परिस्थितिवश दो या तीन वर्ष के अन्त में भी किया जा सकता है। 15 वैदिक अभिमतानुसार यह संस्कार प्रथम वर्ष के अन्त में या तृतीय वर्ष की समाप्ति के पूर्व सम्पन्न किया जाना चाहिए | 16
इस सम्बन्ध में अन्य मत भी प्रचलित हैं । याज्ञवल्क्य ने कुल परम्परा के अनुसार यह संस्कार करने का निर्देश किया है। शांखायन ने तीसरा या पाँचवां वर्ष उत्तम माना है। 17 कुछ आचार्यों के मत से यह उपनयन संस्कार के साथ किया जा सकता है तथा जिसका काल सात वर्ष की अवधि से भी अधिक हो सकता है। 18 इस प्रकार इस संस्कार के लिए एक वर्ष से लेकर पाँच वर्ष तक की अवधि निश्चित की गई है तथा किसी कारणवश अधिक अवधि में भी यह संस्कार किए जाने का निर्देश है।
वर्तमान में सामान्यतः उपनयन संस्कार के कुछ समय पूर्व यह संस्कार सम्पन्न करते हैं। व्यवहारिक अपेक्षाओं से यह प्रणाली औचित्यपूर्ण नहीं है। शास्त्रानुसार प्रथम वर्ष में चौल संस्कार करने से दीर्घायु एवं ब्रह्म तेज की प्राप्ति होती है, तृतीय वर्ष में यह संस्कार करने से समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है, पंचम वर्ष में करने पर व्यक्ति पशुकामी बनता है, षष्ठम या सप्तम वर्ष में यह संस्कार साधारण 19 माना गया है तथा दसवें या ग्यारहवें वर्ष में यह निकृष्टतम माना गया है अत: यह संस्कार प्रथम, तृतीय या पंचम वर्ष के अन्त में कर देना चाहिए, यही बालक के लिए श्रेयस्कारी है ।
चूड़ाकरण संस्कार के लिए उपयोगी सामग्री
चूड़ाकरण संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री की सूची इस प्रकार दी गई
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पौष्टिक विधान के उपकरण, मातृका पूजन की सामग्री, मुण्डन के लिए योग्य साधन जैसे - कैंची, जलपात्र, बड़ा पात्र ( पानी रखने की बाल्टी), शरीर