SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 72... जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन आधान होता है, अतः पुरुष भ्रूण का पोषण करने हेतु यह अवधि निश्चित की गई है। इस प्रकार पुंसवन संस्कार विधि की उपादेयता अनेक दृष्टिकोणों से सुसिद्ध है। सन्दर्भ - सूची 1. संस्कारप्रकाश, भाग-1, पृ. 166 2. संस्कार अंक, पृ. 39 3. आचारदिनकर, भा. 1, पृ. 9 4. धर्मशास्त्र का इतिहास, भा. 1., पृ. 188 5. आचारदिनकर, पृ. 8 6. आदिपुराण, पर्व - 38, पृ. 246 7. याज्ञवल्क्यस्मृति, श्रीरामशर्मा आचार्य, 1/2 8. शंखस्मृति, श्रीरामशर्मा आचार्य, 2/1 8. वीरमित्रोदयसंस्कार, भा. 1, पृ. 166 9. वही, भा. 1, पृ. 166 10. तृतीये मासे कर्त्तव्यं, गृष्टेरन्यत्र शोभनम् । गृष्टेश्चतुर्थ मासे तु, षष्ठे मासेऽथवाऽष्ट मे।। 11. आचारदिनकर, पृ. 9 12. आधार - षोडशसंस्कारविवेचन, श्रीरामशर्मा आचार्य, पृ. 4/6 13. आदिपुराण, पृ. 9 14. वही, पर्व - 38, पृ. 246 15. वही, पर्व - 40, पृ 1. 303 वही, भा. 1 पृ. 168 16. पारस्करगृह्यसूत्र, पृ. 14/2 17. वही, पृ. 1/14/3 18. वही, पृ. 1/14/4 19. वही, पृ. 1/14/5 20. षोडशसंस्कारविवेचन, पृ. 4/4, 4/5
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy