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________________ 64...जैन गृहस्थ के सोलह संस्कारों का तुलनात्मक अध्ययन करना चाहिए। सामान्यतया इस परम्परा में इस संस्कार के अनुष्ठान का समय गर्भ के द्वितीय मास से लेकर अष्टम मास तक माना गया है। यदि हम वैदिक परम्परा में मान्य उक्त धारणाओं को देखें तो इस संस्कार के लिए द्वितीय से अष्टम मास तक का काल उचित लगता है। इस काल के पीछे यह कारण माना जाता है कि विभिन्न स्त्रियों में गर्भधारण के चिह्न विभिन्न काल में व्यक्त होते हैं। कुलाचार या पारिवारिक प्रथाएँ भी इस वैविध्य के लिए उत्तरदायी मानी गईं हैं। बृहस्पतिगृह्यसूत्र में इस संस्कार के लिए कहा गया है कि यदि प्रथम गर्भ हो तो यह संस्कार तीसरे मास में करना चाहिए, अन्यथा दूसरेतीसरे गर्भधारण की स्थिति होने पर यह संस्कार गर्भ के चौथे, छठवें या आठवें मास में भी सम्पन्न किया जा सकता है।10 इसका हेतु स्पष्ट करते हुए शरीर शास्त्रियों का मत है कि परवर्ती गर्भो की अपेक्षा पहली बार गर्भधारण होने पर उसके चिह्न कुछ पूर्व ही स्पष्ट हो जाते हैं, इसी कारण द्वितीय आदि गर्भो में अपेक्षाकृत परवर्तीकाल विहित किया गया है। पुंसवन संस्कार में उपयोगी सामग्री पुंसवन संस्कार सम्पन्न करने हेतु कुछ सामग्री आवश्यक मानी गई है। श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार इस संस्कार के लिए अधोलिखित सामग्री आवश्यक हैं- 1. पंचामृत 2. स्नात्र पूजा के समय प्रयोग आने वाली सभी वस्तुएँ 3. गर्भिणी के लिए नूतन वस्त्र 4. एक वस्त्र का जोड़ा 5. स्वर्ण की आठ मुद्राएँ 6. रजत की आठ मुद्राएँ 7. आठ प्रकार के फल 8. मूल सहित दर्भ 9. तांबूल 10. सुगंधित पदार्थ 11. पुष्प 12. नैवेद्य 13. सौभाग्यवती नारियाँ 14. मंगल गीत की पुस्तकें आदि।11 ___दिगम्बर एवं वैदिक मतानुसार इस संस्कार के लिए कौन-सी सामग्री अपेक्षित हो सकती है? यह कहना असंभव है, क्योंकि इस सम्बन्ध में हमें कुछ भी पढ़ने को नहीं मिला है। पुंसवन संस्कार में अपेक्षित सावधानियाँ पुंसवन संस्कार विधि करने के बाद गर्भिणी को विशेष सावधान रहना चाहिए, क्योंकि किन्हीं मान्यतानुसार इस संस्कार के बाद से गर्भस्थ जीव का क्रमश: विकास होने लगता है। यह सत्य है कि माता-पिता के शरीर से बालक का शरीर, उनके मन से शिशु का मन और उनके स्वभाव से शिशु का स्वभाव
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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