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________________ गर्भाधान संस्कार विधि का मौलिक स्वरूप ...53 में कोई उल्लेख प्राप्त नहीं है, लेकिन इन परम्पराओं में यह विधि जिस प्रकार से की जाती है, उसके आधार पर आवश्यक सामग्री का अनुमान किया जा सकता है। गर्भाधान संस्कार की शास्त्रोक्त विधि श्वेताम्बर - वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर में गर्भाधान संस्कार करने की विधि इस प्रकार कही गई है 20 • सर्वप्रथम पूर्वोक्त गुण सम्पन्न गृहस्थ गुरु गर्भाधान कर्म करने से पहले गर्भवती स्त्री के पति की अनुमति प्राप्त करे। • गर्भवती स्त्री का पति सम्पूर्ण शरीर की शुद्धि करे, शुद्ध वस्त्रों को पहने, फिर निज वर्णानुसार उत्तरीय एवं उत्तरासन को धारण करे। • फिर अरिहन्त बिम्ब की बृहत् स्नात्रपूजा करे । उस स्नात्रजल को पवित्र बर्तन में रखे। • उसके बाद शास्त्र - विधि के अनुसार गंध, पुष्प, धूप, दीपक, नैवेद्य द्वारा अष्टप्रकारी पूजा करे। • पूजा के अन्त में गृहस्थ गुरु सौभाग्यवती नारियों के हाथों से गर्भवती स्त्री को स्नात्रजल से सिंचित कराए। • तदनन्तर पवित्र जलाशयों के जल को एक पात्र में एकत्रित करके उसमें सहस्रमूल चूर्ण को प्रक्षेपित करे। फिर उस चूर्ण मिश्रित जल को शान्तिदेवी के मन्त्र21 द्वारा अथवा शांतिदेवी के मंत्र गर्भित स्तोत्र द्वारा सात बार अभिमंत्रित करे। वह मन्त्र निम्न है - "ॐ नमो निश्चितवचसे भगवते पूजामर्हते जयवते यशस्विने, यतिस्वामिने सकल-महासंपत्तिसमन्विताय त्रैलोक्यपूजिताय सर्वासुरामर - स्वामि संपूजिताय अजिताय भुवनजनपालनोद्यताय सर्वदुरितौघ- नाशनकराय सर्वाशिवप्रशमनाय दुष्टग्रहभूति पिशाचशाकिनी प्रमथनाय, यस्येति नाममंत्रस्मरण तुष्टा भगवती तत्पदभक्ता विजयादेवी । ॐ ह्रीँ नमस्ते भगवति विजये जय-जय परे परापरे जये अजिते अपराजिते जयावहे सर्वसंघस्य भद्रकल्याणमंगलप्रदे, साधुनां शिवतुष्टिपुष्टिप्रदे, जय-जय भव्यानां कृतसिद्धे सत्त्वानां निर्वृत्तिनिर्वाणजननि अभयप्रदे स्वस्तिप्रदे भविकानां जन्तूनां शुभप्रदानाय नित्योद्यते सम्यग्दृष्टिनां, धृतिरतिमतिबुद्धिप्रदे जिनशासनरतानां शान्तिप्रणतानां जनानां श्री संपत्कीर्तियशोवर्द्धिनि, सलिलात् रक्ष रक्ष अनिलात् रक्ष रक्ष, विषधरेभ्यो रक्ष रक्ष, राक्षसेभ्यो रक्ष रक्ष, रिपुगणेभ्यो रक्ष रक्ष, मारीभ्यो रक्ष रक्ष, चौरेभ्यो रक्ष रक्ष, इतिभ्यो रक्ष रक्ष, श्वापदेभ्यो रक्ष रक्ष, शिवं कुरू कुरू शान्तिं
SR No.006239
Book TitleJain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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