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संस्कारों का मूल्य और उनकी अर्थवत्ता...45 गब्भाहाण जम्मणाइयाइं महया इढ्डीसक्कार समुदएणं करिस्संति।
राजप्रश्नीय, मधुकरमुनि, सू.-280 78. तए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं
करेंति, तइए दिवसे चंदसुरस्स दंसणियं करिति, छ8 दिवसे जागरियं करेंति एक्कारसमे दिवसे विइक्कंते निव्वत्तिए असुइजात कम्मकरणे संपत्ते बारसाहदिवसे विडलं असणपाणखाइमसाइमं उवक्खडाविंति, उवरत्ता
............ आसाएमाणा विसाएमाणा परिभुंजेमाणा परिभाएमाणा विहरंति।
कल्पसूत्र, सू.-101