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________________ 160... शोध प्रबन्ध सार द्वितीय अध्याय में सबसे प्राचीन भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप, प्रयोजन एवं उनके लाभ बताए गए हैं। भरत नाट्यम् भारतीय नृत्य कलाओं में प्रसिद्ध एवं प्राचीन कला है। इससे संदर्भित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं को 1. असंयुक्त हस्त मुद्रा 2. संयुक्त हस्त मुद्रा एवं 3. नृत्तहस्त मुद्रा इन तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। इस अध्याय में ‘द मिरर ऑफ गेश्चर' एवं 'भरत नाट्य शास्त्र' दोनों में उल्लेखित मुद्राओं का सचित्र स्वरूप वर्णन किया गया है। दोनों ग्रन्थों में यद्यपि मुद्राएँ समान आशय के साथ प्राप्त होती है परन्तु स्वरूप में किंचिद भिन्नता पाई जाती है। इस अध्याय में मुद्राओं के स्वरूप वर्णन के साथ शरीर के विभिन्न अवयवों पर उसके लाभ आदि की चर्चा की गई है। इस अध्याय का ध्येय नाट्य मुद्राओं को मनोरंजक के साथ सर्वांगीण विकास में हेतुभूत बनाते हुए दिगन्त व्यापी बनाना है । पुराण भारतीय साहित्य की एक अनमोल कृति है । इसी प्रकार कई ऐसे साहित्य ग्रंथ हैं जिनका मुख्य संबंध अध्यात्म या अन्य विषयों से है परंतु उनमें मुद्राओं का भी उल्लेख प्राप्त होता है। विवेच्य ग्रंथ मुद्रा योग की व्यापकता के परिचायक हैं। ऐसे ही विष्णु धर्मोत्तर पुराण आदि कुछ ग्रन्थों में प्राप्त मुद्राओं का उल्लेख तृतीय अध्याय में किया गया है। इस अध्याय में वर्णित अधिकांश मुद्राओं का स्वरूप भरत नाट्य के समान ही है। इसमें प्राय: उन्हीं मुद्राओं का नामोल्लेख किया गया है। इस वर्णन से मुद्राओं का विस्तृत स्वरूप ज्ञात होता है। इस खण्ड के चतुर्थ अध्याय में अभिनय दर्पण में वर्णित अतिरिक्त मुद्राओं के सुप्रभावों का वर्णन किया गया है। अभिनय दर्पण नन्दिकेश्वर कृत नाट्य सम्बन्धी असाधारण ग्रन्थ माना जाता है। इसमें नाट्य सम्बन्धी मुद्राओं का सुविस्तृत विवेचन है। इस ग्रन्थ में उल्लेखित मुद्राओं में से कुछ मुद्राओं का स्वरूप भरत नाट्य से भिन्न हैं एवं कुछ अतिरिक्त मुद्राओं का भी उल्लेख किया गया है। इस अध्याय का लक्ष्य प्राच्य ग्रन्थों को समाज में उपदर्शित कर उन्हें चिरस्मरणीय बनाना तथा उनके ज्ञान को जन जीवन में आचरित करवाना है।
SR No.006238
Book TitleJain Vidhi Vidhano Ka Tulnatmak evam Samikshatmak Adhyayan Shodh Prabandh Ssar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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