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________________ ४४ महाकवि ज्ञानसागर के काव्य-एक अध्ययन सिद्धान्तों को हिन्दी में ही सरल एवं विस्तृत व्याख्या भी श्रीज्ञानसागर जी ने कर दी है।' समयसार । प्रस्तुत अन्य मौलिक रूप में तो कन्द-कन्दाचार्य द्वारा प्राकृत भाषा में लिखा गया है । इसमें दश प्रधिकार हैं, जिनके नाम क्रमशः जीवाजीवाधिकार, अजीवाधिकार, कर्तृकर्माधिकार, पुण्यपापाधिकार, मानव अधिकार, संवराधिकार, निर्जराषि. कार, बन्धाधिकार, मोक्षाधिकार, मोर सर्वविशुदज्ञानाधिकार है। इस ग्रन्थ में कुल ४३७ गाथाएं हैं और इस ग्रन्थ पर जयसेनाचार्य ने संस्कृत भाषा में तात्पर्य नाम की टीका लिखी है । परहमारे महाकवि प्राचार्य श्रीज्ञानसागर ने उक्त ग्रन्थ को इसी तात्पर्या वत्ति पर अपनी हिन्दी टीका लिखी है। संस्कृत एवं प्राकृत को न मानने वाले सामाजिकों के लिये इस ग्रन्थ की यह हिन्दी टीका प्रतीव उपयोगी है ।२ - उपर्यक्त ग्रन्थों के अतिरिक्त ज्ञानसागर की हिन्दी भाषा में रचित चार रचनाएं भोर हैं, जो अभी प्रकाशित नहीं हो पाई हैं। यहां प्रतिसंक्षेप में उनका उपलब्ध परिचय प्रस्तुत है :गुणसुन्दर वृत्तान्त यहाँ कविवर का एक रूपक काव्य है। इसमें राजा श्रेणिक के समय में युवावस्था में दीक्षित एक वेष्ठिपुत्र के गुणों का सुन्दर वर्णन किया गया है। देवागमस्तोत्र का हिन्दी पद्यानुवाद । यह क्रमशः जैन गजट में प्रकाशित हुआ है।५ किन्तु पाज यह मनुपलब्ध है। नियमसार का पद्यानुवाद यह भी क्रमश: जैन गजट में प्रकाशित हुमा है, किन्तु प्राज यह अनुपलब्ध है। प्रष्टपार का पद्यानुवाद यह क्रमशः 'श्रेयोमार्ग' में प्रकाशित हुमा है, किन्तु प्राज यह भी अनुपलब्ध है। ... श्रीज्ञानसागर की उपर्युक्त सभी रचनामों को देखने से स्पष्ट हो जाता है कि उनमें संस्कृत भाषा में साहित्य रचने की जितनी क्षमता है, सरल हिन्दी भाषा में भी रचना करने में यह उतनी ही क्षमता रखते हैं। उन्होंने अपने अषक परिश्रम से जैन-दर्शन एवं साहित्य में प्रपूर्व पति की है। १. इस अन्य को बाबू विश्वम्भरदास जैन, हिसार ने, सन् १९४७ में प्रकाशित कराया है। २. यह ग्रन्थ दिगम्बर जैन समाज, मजमेर से सन् १९६६ ई. में प्रकाशित हमा है। ३. पं० होरालाल सिदान्तशास्त्री, बाहुबली सन्देश, पृ० सं० १३-१४ दयोदयचम्पू, प्रस्तावना, पृ० सं० प । ५. वही, - वही, वही, पृ० सं०६। वही, वही, वही। ७. वही. बही, वही, वही । 4S ** वही,
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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