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________________ द्वितीय परिशिष्ट महाकवि ज्ञानसागर की हिन्दी रचनाएं श्रीज्ञानसागर ने हिन्दी भाषा में चौदह रचनाएँ लिखी हैं। इन रचनामों में उनको अधिकांश रचनाएं मौलिक हैं और कुछ टीका कतियां भी हैं। एक दो को छोड़कर उनकी इन रचनामों का प्रकाशन भी हो चुका है। यहां प्रति संक्षेप में उनका समीक्षोन्मुख परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है जिससे माशा है कि संस्कृतसाहित्य समीक्षाजगत् भी अपने इस उत्कृष्ट साहित्यकार की सम्पूर्ण साहित्यसम्पमा से परिचित हो सकेगा। मौलिक कृतियांমালা - श्रीमानसागर जी ने महापुराण में वरिणत प्रादि ऋषभदेव तोयंकर भगवान् के कथानक के आधार पर अपना यह हिन्दी काव्य लिखा है। इसमें ऋषभदेव के ८ पूर्वजन्मों मोर बत्तंमान जन्म का विस्तृत वर्णन है। काग्य के मन्त में ऋषभदेव के यहां भरत एवं बाहुबली के जन्म लेने का और ऋषभदेव द्वारा तीर्थङ्कर-पद-प्राप्ति का वर्णन है। इस काम्य में सत्रामध्याय हैं । काम्य की कुल पद्य-संख्या ८१५ है। ये पर रोला, हरिगीतिका इत्यादि हिन्दी के प्रसिद्ध छन्दों में निबर हैं। प्रत्येक अध्याय की समाप्ति पर कवि ने दोहा मथवा कुण्डलिया नामक छन्द प्रयुक्त किये हैं। काव्य में शुङ्गार, शान्त, वीर, करुण, अद्भुत, वत्सल मादि रसों का यथास्थान सम्यक् परिपाक हुमा है। काव्य की समाप्ति भक्तिभाव की अभियजमा के साथ हुई है। कवि के इस काम्य में स्थान-स्थान पर उपमा, रूपक', उत्प्रेक्षा' १. महापुराण (पादिपुराण भाग-१) २. ऋषभावतार, ११५४, ६७, ६५, १०२ ३. वही, २।३१, ४१४४,१११२६ ४. वही, २३४, २११६, २०१३
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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