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________________ ४२० महाकवि ज्ञानसागर के काम-- एक अध्ययन बढ़ते, भोजन का सर्वथा त्याग हो जाता है, सर्वज्ञता पा जाती है और उसके प्रभाव से समस्त वातावरण प्रानन्दमय हो जाता है।' कवि ज्ञानसागर की दृष्टि में ईश्वर - सनातन धर्मावलम्बी नैयायिक लोग ईश्वर को पुरुष का भाग्यविधाता मानते हैं। किन्तु जैन धर्मावलम्बी जन ईश्वर के विषय में कुछ दूसरी हो मान्यता रखते हैं । वे ईश्वर का कर्ता होना स्वीकार नहीं करते, कोंकि यदि ईश्वर को कर्ता माना जाय, तो मनुष्य के लिए कोई कार्य शेष ही नहीं रहेमा । . श्रीज्ञानसागर भी ईश्वर को पता नहीं मानते। उनका मत है कि संसार में . होने वाले परिवर्तन काल नामक द्रव्य की सहायता की अपेक्षा रखते हैं, ईश्वरकृत नियमन की नहीं। इसी प्रकार कोई भी वस्तु न तो उत्पन्न होती है और न न होती है, उसमें केवल परिवर्तन होता है। चूंकि प्रत्येक वस्तु में वस्तुन्व न!मका एक धर्म होता है प्रतः वह अपना कार्य करती है। बीज से वक्ष की ओर वृक्ष से वीज़ की उत्पत्ति स्वत: होती है । प्रतः वस्तु के उत्पन्न होने या ना होने में श्री ईश्वर को कारण मानना व्यर्थ है ! यदि ईश्वर का इन पदार्यों के परिणमन में प्रभाव पड़ता तो वस्तु के स्वाभाविक धर्म व्यर्थ हो जाते । अतः स्पष्ट है कि ईश्वर संसार का नियन्ता नहीं है। श्रीमानसागर की दृष्टि में कर्मकाण्ड-.. श्रादतर्पण इत्यादि कर्मकाण्डीय क्रियायों का जैनधर्म में कोई स्थान नहीं है । १. वीरोदय, १२।४०-५१ २. (क) तदुक्तं वीतरागस्तुती 'कर्तास्ति कश्चिच्जगत: स चकः, स. सवंगः, स स्ववशः स नित्यः । इमाः कुहेवाकविडम्बनाः स्युस्तेषां न येषामनुशासकस्त्वम् ॥ (वी० स्तु. ६) इति । अन्यत्रापि'कर्ता न तावदिह कोऽपि यथेच्छवा वा दृष्टोऽन्य था कटकृतावपि तत्प्रसङ्गः । कार्य किमत्र भवतापि च तक्षकाबराहत्य च त्रिभुवनं पुरुष: करोति ।। इति । –श्रीमन्माधवाचार्य, सर्वदर्शनसंग्रह, पाहतवन, पृ. सं० १३३-१३४ (ख) श्रावकाचारसंग्रह (भाग-१) अमितगतिकृत, श्रावकाचार, ४१७७-१०० 'न कोऽपि लोके बलवान् विभाति समास्ति का समयस्य जातिः । ... यतः सहायाद्भवतादभूतः परो न कश्चिद्भुवि कार्यदूतः ॥' -वीरोदय, १८।२ ४. वीरोदय, १६।३८.४४
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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