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________________ महाकवि मामसागर के संस्कृत-मन्त्रों में भाव ३६५ महाकवि मानसागर के काम्यों में देशकाल - महाकवि के काम्यों में पात्रों, भौगोलिक स्थानों एवं घटनामों का वर्णन देशकाल के अनुरूप ही किया गया है। उन्होंने अपने काव्य के पात्रों को उनके स्वभाव एवं परिस्थितियों के अनुसार प्रस्तुत किया है । देववर्ग के पात्र मानववर्ग के पात्रों के उत्कर्ष में सहायक है।' मानव वर्ग के पात्रों में नागरिक भोगविलास युक्त जीवन अतीत करते हैं। पोर प्रामीण जनों का जीवन-स्तर साबनी एवं सरलता से युक्त है । म्यन्तरवर्ग के प्राणी मायाचार करने में रत रहते हैं। पात्रों की लीलाभूमियों के रूप में काशी,५ हस्तिनापुर,' कुण्डनपुर, चम्पापुर, चक्रपुर और उज्जयिनी'• का ऐसा वर्णन किया है, जिससे उनकी समृद्धि की झलक भी मिल जाती है और पाठक काय के पात्रों के पूर्व उनकी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि का परिचय भी पा लेता है। पावापुर भगवान महावीर की मोक्षभूमि है," यह तो ऐतिहासिक सत्य ही है। विवाह के समय नगरी को सजाना,१२ बहुपत्नीप्रपा' पोर वित्तीय अधिकारियों के स्थान पर नगर श्रेष्ठियों की नियुक्तियों मादि भी तत्समया. नुसार ही हैं। (ङ) सारांश कविवर मानसागर ने कला के प्रायः सभी भेदों का प्रयोग अपने काव्यों में १. बोरोदय, पांचा समं । २. वही, २।३८, ४४ ३. सुदर्शनोदय, १२२१-२२ ४. वही, ६७६-८३ ५. जयोदय, ३।७३-८५ ६. वही, १११६६-६६ ७. वीरोदय, २०२१-५. ८. सुदर्शनोदय, १।११.३७ १. श्रीसमुद्रदतचरित्र, ६१-८ १०. दयोदयचम्पू, १॥ श्लोक १. के पूर्व का गबभाग एवं १०.११ ११. बीरोदय, २०२१ १२. जयोदय, ३१७३-८५ १३. श्रीसमुद्रदत्तचरित्र, ६१८-१९ १४. योदयचम्मू, २०१४
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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