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________________ ३७४ कदा समय: समायादिह जिनपूजायाः ।कञ्चनकलशे निर्मलजलमधिकृत्य मञ्जु गङ्गायाः । वारांधाराविसर्जनेन तु पदयोजिन मुद्रायाः । लयोsस्तु कलङ्कक्लायाः ॥ स्थायी ॥ मलयगिरेश्चन्दनमथ नन्दनमपि लात्वा. रम्भायाः । केशरेण सार्धं विसृजेयं पदयोजिन मुद्रायाः, न सन्तु कुतश्चापायाः ॥ स्थायी ॥ मुक्तोपमसन्दलदल मुज्ज्वलमादाय श्रद्धायाः । सद्भावेन च पुञ्जं दत्वाऽप्यग्रे जिनमुद्रायाः पतिः स्यां स्वर्गरमायाः ॥ स्थायी ॥ कमलानि च कुन्दस्य च जातेः पुष्पाणि च चम्पायाः । प्रयामि नितयाऽहं परयोजिन मुद्रायाः, यतः सौभाग्यं भयात् ॥ स्थायी || ' श्यामकल्याण राग महाकवि ज्ञानसागर के काव्य- एक प्रध्ययन श्यामकल्याण राग का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है : राग - श्यामकल्याण जाति वाडव सम्पूर्ण बाट- काफी वादी - पंचम गायन समय - रात्रि का प्रथम प्रहर । 2 संवादी - षड्ज स्वर - कोमल नि, तीव्र म इस राग में निबद्ध कवि का एक गीत उदाहरण के रूप में प्रस्तुत है : "जिन परियामो मोदं तव मुखभासा ।। लिन्ना यदिव सहजकद्विषिना, निः स्वजनीनिधिना सा ॥ सुरसनमशनं लब्ध्वा रुचिरं सुचिरक्षुधितजनाशा ॥ hfoकुलं तु लपत्यधिमधुरं जलवस्तनितसकाशात् ॥ • किन्न चकोर शो: शान्तिमयी प्रभवति चन्द्रकला सा ॥3 सारक राग सारङ्गराग का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है :राग - शुद्ध सारंग पृ० सं० ५८ ३. सुदर्शनोदय, ५ छठा गीत । ४. संगीत विशारद, पू० ० १८२ स्वर दोनों म, दोनों नि गायन समय दिन का दूसरा प्रहर १. सुदर्शनोदय, ५ चतुथं गीत के प्रथम चार भाग । २. नारायण लक्ष्मण गुरणे, संगीतप्रवीरणदर्शिका ( प्र० भा० ), द्वितीय संस्करण
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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