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महानगर के
एक अन
यहाँ पर उम्रा भरत वन रस के बाद है। जयकुमार बालपन है। उनकी शूरवीरता, ग्यायप्रियता, प्रभावशाली व्यक्तिस्य इत्यादि उद्दीपन विभाव है। जयकुमार का ग्रालिङ्गन, प्रेमपूर्वक उन्हें देखना, रोमान्य इत्यादि अनुभाव है। हवं प्रावेग, गर्म इत्यादि व्यभिचारिभाव है । वीरोदय महाकाव्य में बलि
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वीरोदय महाकाव्य में केवल सीम रस, अद्भुत रस धीर बरसन रस। ये हीमी हो र है। नरम-रस की परिक्षति सान्तर में हुई है। अङ्ग-रस के रूप में उपस्थित हुए है।
रखी का वर्णन मिलता है-हास्य सामा-रस की अपेक्षा प्रप्रधान इसलिए तीनों ही सात रस के बीमी रखी का श्रीवाहच्या वर्णन प्रस्तुत
हास्य रस
बीरीबन महाकाव्य में हास्य रस मिलता है। देवन भगवान महावीर के पुरमा रहे थे, मार्ग में इादेव के ऐरावत हाथी ने पूर्व की कम सूंड से उठा लिया, पर उसकी
उसे छोड़ भी दिया। उस पेट:--
"रविधि
पुनरावदम् ।
तश्ततवासमुरवजन्ममय सुखम् ||१
वहाँ पर देशभर के भाव है। ऐरावत हाथी वालम्बन विभाव उसकी जम्पूर्ण चेष्टा नदीपनविभाव है
का एक पर प्रत्यय वर्णन मानव हेतुमण्ड
कर अपनी
का अनुभव करके सूड को हिलाकर
बीरबन महाकाव्य में अद्भुत रस का दर्शन ती तीनों स्थलों पर है, लेकिन तीनों ही स्थलों पर उनकी मात्रा प्रयत्न है। दो स्थल उदाहरण रूप में प्रस्तुत
१. वीरोदय, ७ १० २. बही, ५०१
(क) भगवान महावीर के गर्भावतरण के near more में सूर्य को पराभूत करने वाला एक ऐसा प्रकाश दिखाई दिया, जिसे लोगों मे प्रश्नभरी दृष्टि से देखा :
"werभवद योनि महाप्रकाशः सूर्यातितानी सहसा तथा सः किमेतदित्वं हृवि कामाब: कुर्वन् जनामा प्रचलत्प्रभाव: ॥ ३ यहाँ पर अद्भुत रस का प्राश्रय है— कुण्डलपुर का जनसमूह । प्राकाश में efuntचर होने वाला प्रकाश-पुञ्ज] प्रालम्बनविभाव है। उसकी मनायास उपस्थिति