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________________ महाकवि ज्ञानसागर का वर्णन-कोशल २०५ वन वर्णन प्रकृति-वर्णन करते समय पर्वत-वर्णन के बाद वन-वर्णन का क्रम है । क्योंकि प्रायः वन पर्वतीय स्थलों में ही होते हैं। वनों में ऋषि-मुनियों के प्राश्रम एवं कुटो तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के पत्र-पुष्प मन को प्रसन्न करते हैं, साथ ही हिंसक जीवधारियों की उपस्थिति मन में भय भी उत्पन्न करती है। श्रीज्ञानसागर की रचनाओं में नौ बार वनों का उल्लेख मिलता है--भद्रोदय में एक बार, वीरोदय में चार वार, जयोदय में भी चार बार। इनमें से भद्रोदय में प्रासनाभिधान वन का,' वीरोदय में सावणं, ग्राम्र. अशोक और चम्पक से युक्त वन का,२ कल्पवृक्ष वन का, केवल नाम-मात्र के लिए उल्लेख मिलता है तथा वीरोदय में ही एक मन्य स्थल पर वन-सामान्य का एक श्लोक में कुछ मालङ्कारिक वर्णन भी मिलता है। इसी प्रकार जयोदय में हिमालय वर्णन के प्रसङ्ग में सालवान का भी एक श्लोक में उल्लेख मात्र मिलता है। वीरोदय में वसन्त-ऋतु वर्णन के प्रसङ्ग में कवि ने यत्र-तत्र वन की शोभा का उल्लेख किया है : . वसन्त-ऋतु में सारा वन-प्रदेश, पुष्पों के पराग से युक्त हो रहा है। कोयल रूप पुरोहित, कामाग्नि रूप यज्ञाग्नि, भ्रमर-गुंजार रूप वाद्य-ध्वनि वन देवता मोर ऋतुराज वसन्त के शुभ-पाणिग्रहण का मनोहारी दृश्य उपस्थित कर रहे हैं। X x x वसन्त ऋतु में वन में गुलाब और कमल के पुष्प विकसित हो रहे हैं। कमलिनी का पराग वायु के वेग से कमल को जीतने वाले हाथों को धारण करने वाली स्त्रियों को पांखों में पड़ रहा है । जयोदय में एक स्थल पर काव्य-नायक जयकुमार का शरीर वन-शोभा से रोमांचित हो गया है । वन शोभा से प्राकृष्ट होकर वह धीरे-धीरे दिशामों में दृष्टि डाल रहे थे । वहां उन्होंने साधुजनों से युक्त, सुन्दर-सुन्दर बगीचों को देखा है पौर हर्ष का अनुभव किया है। मुलोचना से विवाह के पश्चात् जयकुमार गङ्गा-नदी के तट पर पहुँचे। इस स्थल पर वन-क्रीड़ा के प्रसंग में वन-शोभा का वर्णन मिलता है। गंगा-नदी के १. भद्रोदय, ४१६ २. वीरोदय, १३।११ ३. वही, १३।१३ ४. वही, १०।२१ ५. जयोदय, २४।३८ ६. वोरोदय, ६।१३-१४, ३४-३७ ७. जयोदय, १८८-६०
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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