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कवि की संस्कृत काव्यसम्पदा
का परिचयात्मक प्रतिसंक्षिप्त रेखाचित्र
जयोदय महाकाव्य वीरोदय महाकाव्य सुदर्शनोदय महा- श्रीसमुद्रदत्तचरित्र दयोदयचम्पू
काव्य
महाकाव्य
मुनिमनोरंजनशतक
सर्गसंख्या
२८
सर्गसंख्या श्लोकसं.
२८
२२
३०७६
Ect
४१२
३४५
१००
छन्दःसं.
१८
१२
अंगी रस
शान्त
शान्त
शान्त
शान्त
शान्त
अंग रस
शृङ्गार, रौद्र, बीर, करुण, रोद्र शृङ्गार, करुण अद्भुत और वत्सल पोर वत्सल । मोर वत्सल
शृङ्गार, वीर, हास्य, अद्भुत रोद, हास्य बीभत्स पोर वत्सल मोर वत्सल ।
वैदर्भी बनी
सैली
बंदी
दर्नी
दी .