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________________ बाम्बमास्त्रीय विधाएं काव्य बकाव्य (रूपक) . नाटक | भाण | समवकार | ईहामग | वीषी - प्रकरण व्यायोग-हिम अंक। प्रहसन गयकाव्य पचकाव्य मयपमितिकाम्य कपा मास्यापिका महाकाव्यपकाय (ख) कवि के संस्कृत-काव्य एवं काव्य-शास्त्रीय विधा : एक समन्वय महाकवि श्रीमानसावर ने संसात-भाषा का प्राय लेकर जिन कृतियों का प्रणयन किया, वे इस प्रकार है-१-जयोदय, २-धीरोदय, ३-सुदर्शनोदय, ४-बीसमुद्रस्तचरित्र, ५-श्योदय, ६-मुनिमनोरंजन शतक, ७-प्रबंधनसार पोर ८-सम्पत्वसार शतक । काग्य का स्वरूप ध्यान में रखते हुए हम इन पाठ रचनामों में से प्रषम छ को संस्कृत-काग्यों की गोटि मेंस सकते हैं। अब देखना यह है कि इन संस्कृतकाम्पों में कोन काव्य, काम की सिविषा अन्तर्गत पाता है। इस परीक्षा हेतु हम सर्वप्रथम पयोदय को ही मेते है:बोरव यह एक महाकाम है। भारतीय प्राचार्य कहाकाव्य में जिन विशेषतामों का होना पावश्यक समझते थे, वे इस प्रकार हैं। १-कवावस्तु सगंबड होनी चाहिए और सर्व भी पाठ से अधिक सवाचित पाकार पाने होने चाहिए। २-प्रारम्भ में पाशीर्वादात्मक, नमस्कारात्मक या वस्तुनिर्देशात्मक मंगमापरण होना चाहिये। ३-चानक इतिहास या किसी सज्जन से सम्बड होना चाहिये । ... ४-पुरुषार्ष-पतुष्टय में से एक की सिदि करनी ही चाहिये। -भावक पतुर, ज्यात पौर चीन होना चाहिए।
SR No.006237
Book TitleGyansgar Mahakavi Ke Kavya Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Tondon
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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