________________
१०
महाकवि ज्ञानसागर के काव्य
एक अध्ययन
विवाह के लिए की गई पूर्वप्रतिज्ञा का वर्णन नहीं है। इसकी शेष कषा पूर्वग्रन्थों के ही समान है ।"
श्रीविद्यानन्दविरचित 'सुदर्शन चरित' -
इस ग्रन्थ की कथा मी पूर्वग्रन्थों के समान है ।
स्पष्ट है कि 'बृहत्कथाकोश' प्रोर 'सुदंसणचरिउ' के कथानक ही सुदर्शनोदय के कथानक के स्रोत हैं । अन्य चार ग्रन्थ इन दोनों की अनुकृतिमात्र हैं। प्रत: मूलकथा में कवि ने क्या परिवर्तन किये हैं ? यह देखने के लिए इन्हीं दोनों ग्रन्थों से 'सुदर्शनोदय' की तुलना करना उचित होगा। सर्वप्रथम 'बृहत्कथाकोश' मोर 'सुदर्शनोदय' की तुलना प्रस्तुत है :
बृहत्कथा और सुदर्शनोदय --
हरिषेणाचार्यकृत 'बृहत्कथाकोश' में वरिगत सुभगगोपाल की कथा मोर 'सुदर्शनोदय' की कथा में निम्नलिखित भिन्नतायें दृष्टिगोचर होती है :
(क) 'बृहत्कथाकोश' में रजा का नाम दन्तिवाहन एवं रानी का नाम श्रभया है । 3 'सुदर्शनोदय' में इनका नाम क्रमशः धात्रीवाहन और प्रभयमती है । ४ (ख) 'बृहत्कथाकोश' में सेठानी का नाम जिनदासी है।' 'सुदर्शनोदय' में जिनमति है ।
(i) 'बृहत्कथाकोश' में राजा एवं सेठ के परिचय के बाद सेठ के ग्वाले का वृत्तान्त ति है । 'सुदर्शनोदय' में यह वृत्तान्त मुनि ने सुदर्शन के पूर्वजन्मों का वर्णन करते हुए सुनाया है ।
(घ) 'बृहत्कथाकोश' में मुनि के 'नमोऽरिहंताणं' मन्त्र के उच्चारण के पश्चात् आकाशगमन का वर्णन है, पर वह 'सुदर्शनोदय' में नहीं है ।
ह
१. भट्टारक सकनकीर्ति विरचितं सुदर्शनचरित पं० हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री, पन्नालाल दिगम्बर जैन सरस्वती भवन, ब्यावर से प्राप्त हस्तलिपि की प्रतिलिपि पर ग्राधारित ।
२. श्रीविद्यानन्दिविरचित, सुदर्शनचरित, संपादक डॉ. हीरालाल जैन; भारतीय
ज्ञानपीठ वाराणसी ।
३. बृहत्कथाकोश, ६०1१-२
४. सुदर्शनोदय, १३८ - ४० ५. बृहत्कथाकोश, ६० ३
६. सुदर्शनोदय, २।४
७. बृहत्कथाकोश, ६०।४
५. सुदर्शनोदय, ४।१८-२२
६. बृहत्कथाकोश, ६०।१०