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महाकवि ज्ञानसागर के काव्य-एक अध्ययन
मुनिमनोरंजन के लिए भी उन्हें ही लिखें-यह पुस्तक भाजपप्राप्य हो रही है । फिर भी कहीं न कहीं से भिजवाने का प्रयत्न करेंगे ।xx
मापका श्री १०८ प्राचार्य
हीरालाल शास्त्री विद्यासागर जी का संघस्थ श्री क्षुल्लक स्वरूपानन्द बी मुनिश्री कुण्डलपुर क्षेत्र पो० पटेरा, जि. दमोह (म०प्र०)
६७६, सरदारपुरा, सी सड़क जोधपुर-३४२००१
१६-६-७६ प्रिय किरण जी,
मापका २-८-७६ का पत्र मिला x x x 'मुनिमनोरंजनशतक' मेरे पास नहीं है, मैंने एक दो जगह लिखा है, यदि वहाँ से प्राप्त हो सकी तो पापको अवश्य भिजवाऊंगा। x x x पापका उल्लेख करते हुए मैं भाज एक पत्र प्राचार्य श्री के पट्टशिष्य पं० पूज्य आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज को भी भेज रहा हूँ, वे माजकल कुण्डलपुर (म० प्र०) में चातुर्मास कर रहे हैं। x x xI
शुभपी
. चेतन प्रसाद पाटनी उक्त विद्वानों से पत्र व्यवहार करने पर निष्कर्ष निकला कि मुनिमनोरंजनशतक संभवत: महाकवि ज्ञानसागर के शिष्य मुनि श्री विद्यासागर जी के पास हो। अतः मैंने उनसे भी पत्र-व्यवहार किया। किन्तु उनके शिष्य (सचिव) श्री जगमोहनलालशास्त्री ने इस पुस्तिका की अनुपलब्धि के ही विषय में सूचित किया, उनके द्वारा प्रेषित पत्र से उद्धत सम्बड पंश इस प्रकार है :(च) श्रीमती बहिन किरण जी जैन शिक्षा सस्था जयजिनेश
मु० कटनी (जबलपुर) म०प्र०
२६७६ ___x x x आपका कटनी भेजा गया पत्र ३६७६ को देखा। xxx मनोरंजनशतक उपलब्ध न हो सका। उसे शोधकार्य से हटा
पापका जगन्मोहनलाल जैन शास्त्री