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22. हे मानवो! प्रतिक्षण जाग्रत् रहो। सर्वदा जाग्रत् रहने वाला निद्राशील भी जाग्रत् है। जो सोता रहता है वह सुखी नहीं होता और जो जागता है वह सुखी होता है।
22. Be vigilant, O man. One inwardly alert is still conscious while asleep. Indolent is never happy while the vigilant is ever happy.
जागरन्तं मुणिं वीरं, दोसा वज्जेन्ति दूरओ।
जलन्तं जाततेयं वा, चक्खुसा दाहभीरुणो।।23।। 23. जागरणशील वीर श्रमण से दोष (स्वतः ही) दूर चले/भाग जाते हैं, जैसे दाहभीरु (आग से डरने वाला) जलती हुई आग को आँखों से देखते ही दूर भाग जाता है।
23. A vigilant and brave being repels all evils as fire repels a pyrophobic.
एवं से सिद्धे बुद्धे विरते विपावे दन्ते दविंए अलं ताई णो पुणरवि इच्चत्थं हव्वमागच्छति त्ति बेमि।
पणतीसं अदालइज्जज्झयणं।
इस प्रकार वह सिद्ध, बुद्ध, विरत, निष्पाप, जितेन्द्रिय, वीतराग एवं पूर्ण त्यागी बनता है और भविष्य में पुनः इस संसार में नहीं आता है।
ऐसा मैं (अर्हत् अदालक/उद्दालक ऋषि) कहता हूँ। ___ This is the means, then, for an aspirant to attain purity, enlightenment, emancipation, piety, abstinence and nonattachment. Such a being is freed of the chain of reincarnations.
Thus, I Uddalak, the seer, do pronounce. अद्दालक नामक पैंतीसवाँ अध्ययन पूर्ण हुआ।35।
394 इसिभासियाइं सुत्ताई