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26. छव्वीसं मातंगज्झयणं
कतरे धम्मे पण्णत्ते? सव्वाउसो सुणेध मे।
किण्णु बम्भणवण्णाभा, जुद्धं सिक्खन्ति माहणा।।1।। __1. कितने प्रकार के धर्म प्रतिपादित किये गये हैं? हे समस्त आयुष्मानो! वह सब मेरे से सुनो। ब्राह्मण वर्ण की आभा वाले अर्थात् ब्राह्मण जैसे दिखाई देने वाले 'मा हन्' (हिंसा मत करो) माहण (श्रावक) होकर भी युद्ध की शिक्षा क्यों ग्रहण करते हैं?
1. Let me tell you of the myriad kinds of religions propounded by people. Literal meaning of Brahmin is to commit no violence. Why then do Brahmins live with all the paraphernalia of Brahminhood and learn martial arts?
रायाणो वणिया? जागे, माहणा सत्थजीविणो।
अन्धेण जुगेणद्धे विपल्लत्थे उत्तरावरे।।2।। 2. क्षत्रिय और वणिक् यदि यज्ञ यागादि करते हैं और माहण/ब्राह्मण शस्त्रजीवी होते हैं (तो यह उनकी वृत्ति के विपरीत होगा।) जैसे विपरीत दिशाओं से आए हुए अन्ध युगल आपस में राजपथ पर ही टकरा जाते हैं।
2. Kshatriyas and trader class perform religious rites and Brahmins live as warriors. It is like blind wrestlers clashing along the highway. It is like going against one's grain.
आरूढो रायरहं अडणीए जुद्धमारभे।
सधामाइं पिणिद्धन्ति, विवेता बम्भपालणा।।3।। 3. कतिपय ब्राह्मण राजरथ पर आरूढ़ होकर मार्ग में युद्ध आरम्भ करते हैं, किन्तु ब्रह्म-ब्रह्मवृत्ति, ब्रह्मकर्म अथवा सत्यानुष्ठान के पालक विवेकपूर्वक अपने घरों को अर्थात् हिंसात्मक वृत्ति के द्वार को बन्द कर लेते हैं।
3. Certain Brahmins rids chariots and fight along the highway. However, they choose to snap close their doors to spiritual contemplation suitable for Brahmins.
ण माहणे धणुरहे, सत्थपाणी ण माहणे।
ण माहणे मुसं बूया, चोज्ज कुज्जा ण माहणे।।4।। 346 इसिभासियाई सुत्ताई