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गरन्ता मदिरा वा वि, जोगकण्णा व सालिणी । णारी लोगम्मि विण्णेया, जा होज्जा सगुणोदया ।।4।।
4. मदोन्मत्त बना देने वाली मदिरा है, सुशोभना योग कन्या है। वह विश्व में नारी कही जाती है जो स्वकीय गुणों से उद्भासित है।
4. She is like a maddening liquor and a charming maiden doomed to widowhood. Such a being is dubbed a female all over the world.
उच्छायणं कुलाणं तु, दव्वहीणाण लाघवो । पतिट्ठा सव्वदुक्खाणं, णिट्ठाणं अज्जियाण य|| 5 ||
5. ( असंस्कारी ) नारी कुल का नाश करती है, द्रव्यहीन (निर्धन) का तिरस्कार करती है, समस्त दुःखों का प्रतिष्ठास्थान है, अध्यवसाय अथवा आर्यत्व की नाशक है।
5. A female is prone to damn her family, belittle the penurious, a veritable mine of miseries and a damner of human endeavour.
गेहं वेराण गंभीरं, विग्घो सद्धम्मचारिणं । दुवासो अखलीणं व, लोके सुता किमंगणा ? ।। 6 ।।
6. गहन वैरभाव का घर है, सद्धर्माचरण करने वालों के लिए विघ्नभूत है, लगाम रहित दुष्ट अश्व के समान है, स्वेच्छाचारिणी है। ऐसी नारी लोक में कुनारी कही जाती है।
6. She is a storehouse of ill-will, a dampener of spiritual enterprise, a reinless steed. She is wanton by nature. Such a female deserves all condemnation.
इत्थी उ बलवं जत्थ, गामेसु णगरेसु वा । अणस्सयस्स हेसं तं, अपव्वेसु य मुण्डणं ॥7॥
7. जहाँ ग्राम और नगरों में स्त्रियाँ बलवान हैं, बेलगाम घोड़े की तरह स्वच्छन्द हैं वे अपर्व के दिनों में मुण्डन के समान हैं।
7. The villages and towns dominated by females are anarchic and ominous.
धित् तेसिं गामणगराणं सिलोगो ॥ 8 ॥
22. दगभाल अध्ययन 323