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________________ 20. बीसं उक्कलज्झयणं पंच उक्कला पन्नत्ता, तंजहा : दण्डुक्कले 1. रज्जुक्कले 2. तेणुक्कले 3. देसुक्कले 4. सव्वुक्कले 5। पाँच प्रकार के उत्कल अर्थात् धर्मरहित बतलाये गये हैं। वे इस प्रकार हैं1. दण्डोत्कल, 2. रज्जूत्कल, 3. स्तेनोत्कल, 4. देशोत्कल और 5. सर्वोत्कल। There are five schools of non-spiritual materialism : (1.) से किं तं 'दण्डुक्कले' ? दण्डुक्कले नामं जे णं दण्डदिटुन्तेणं आदिल्लमज्झवसाणाणं पण्णवणाए 'समुदयमेत्ता' भिधाणाई ‘णत्थि सरीरातो परं जीवो' त्ति भवगतिवोच्छेयं वदति। से तं दण्डुक्कले। 1. दण्डोत्कल किसे कहते हैं? दण्डोत्कल उसे कहते हैं, जो दण्ड (लकड़ी) के दृष्टान्त द्वारा प्रतिपादित करते हैं कि दण्ड का आदि, मध्य और अन्तिम हिस्सा पृथक्-पृथक् अस्तित्व वाला न होकर दण्ड का समुदाय मात्र है, उसी प्रकार शरीर से भिन्न कोई आत्मा नहीं है। शरीर का नाश होते ही भव अर्थात् संसार का नाश हो जाता है। ऐसी जो प्ररूपणा करते हैं उन्हें दण्डोत्कल कहते हैं। 1. One school (Dandotkal) relies on the parallel of a stick. They insist that like the inseparable top, middle and end of a stick the soul is an extension of, and is not conceivable separate from, body. Once the body is shed the world exists no more. (2.) से किं तं 'रज्जुक्कले' ? रज्जुक्कले णामं जे णं रज्जुदिढन्तेणं समुदयमेत्तपन्नवणाए पंचमहब्भूतखन्धमेत्ता'भिधाणाई संसारसंसतिवोच्छेयं वदति। से तं रज्जुक्कले। 2. रज्जूत्कल किसे कहते हैं? रज्जूत्कल उसे कहते हैं जो रज्जु (रस्सी) के दृष्टान्त के माध्यम से यह प्रतिपादित करते हैं कि जीव पाँच महाभूतों के अंश का समुदायमात्र है, अर्थात् जीव का कोई पृथक् अस्तित्व नहीं है। पाँच महाभूतों का नाश होते ही संसार-परम्परा का उच्छेद हो जाता है। ऐसा जो प्रतिपादित करते हैं उन्हें रज्जूत्कल कहते हैं। 2. Another school (Rajjutkal) relies on the example of a rope. They avail that the individual is a mere combination of 20. उत्कल अध्ययन 313
SR No.006236
Book TitleRushibhashit Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar, Sagarmal Jain, Kalanath Shastri, Dineshchandra Sharma
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2016
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size33 MB
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