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19. एगूएवीसं आरियायणज्झयणं
सव्वमिणं पुराऽऽरिआमासि । आरि या य णे णं अरहता इसिणा बुझतं । पहले समस्त जन आर्य थे।
ऐसा अर्हत् आर्यायन ऋषि बोले
Aryayan, the seer, declared that in the beginning all were Aryans i.e. the civilised and cultured beings.
वज्जेज्जऽणारियं भावं, कम्मं चेव अणारियं । अणारियाणि य मित्ताणि, आरियत्तमुवट्ठिए । 1 ॥
1. अनार्य विचार, अनार्य आचार और अनार्य मित्रों का परित्याग करे तथा आर्यत्व प्राप्त करने के लिए तैयार हो जाए।
1. Incivil ideas, incivil conduct and incivil company should be shunned.
जे जणाऽणारिए णिच्चं, कम्मं कुव्वन्तऽणारिया । अणारिएहि य मित्तेहिं, सीदन्ति भवसागरे ।। 2 ।।
2. जो मानव अनार्य हैं वे अनार्य मित्रों के साथ मिलकर सर्वदा अनार्य कर्म करते हैं, वे भवसागर में दुःखों को प्राप्त करते हैं।
2. Incivil beings seek a similar company and combinedly indulge reprehensible conduct. They are deemed to suffer vicissitudes of the mundane existence.
संधिज्जा आरियं मग्गं, कम्मं जं वा वि आरियं । आरियाणि य मित्ताणि, आरिषत्तमुवट्ठिए ॥3॥
3. आर्यत्व प्राप्त होने पर अथवा आर्यत्व प्राप्त करने के लिये आर्य मार्ग, आर्य कर्म और आर्य मित्रों का अनुसन्धान करे।
3. On attaining civilized and cultured status of Aryans, one should adopt this path, regulate one's conduct accordingly and keep company with like individuals.
19. आर्यायण अध्ययन 311