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________________ तुलनीय-- जाव ताव लोएसणा ताव ताव वित्तेसणा, जाव ताव वित्तेसणा ताव लोएसणा। से लोएसणं च वित्तेसणं परिन्नाए गोपहेण गच्छेजा णो महापहेण...। —ऋषिभाषित 12 138. महाभारत शान्तिपर्व अध्याय 310 से 318। 139. ऋषिभाषित 13वां अध्ययन 140. समवायांग 11/4 141. स्थानाङ्ग सूत्र 157, 236 142. आवश्यकनियुक्ति गाथा 866, 870, 871 143. विशेषावश्यक भाष्य गाथा 3332, 3338, 3339 144. आवश्यकचूर्णि भाग 1, पृष्ठ 494-95 145. स्थानाङ्ग सूत्र 157, 236 146. स्थानाङ्ग अभयदेव की टीका पृ. 182 एवं 474 147. थेरगाथा 84 148. सुत्तनिपात गाथा 814 149. ऋषिभाषित 14वां अध्ययन 150. सूत्रकृताङ्ग 1/3/4/2 151. सूत्रकृताङ्गचूर्णि पृ. 121 152. सूत्रकृतांग शीलांकटीका पृ. 15 153. पालि प्रापर नेम्स जिल्द 2. पृ. 281-83 154. वैदिक कोश पृ. 334 (का. हि. वि. वि. 1933) 155. महाभारत की नामानुक्रमणिका पृ. 216 156. ऋषिभाषित 15वां अध्ययन 157. ऋषिभाषित 16वां अध्ययन 158. स्थानांग सूत्र 755 159. विपाक सूत्र 29 160. धम्मपद अट्ठकथा, भाग 1, पृ. 324 टिप्पणी। 161. महाभारत द्रोणपर्व 144/7 162. बृहदारण्यकोपनिषद् 4/6/2 163. ऋषिभाषित 17वां अध्ययन 164. ज्ञाताधर्मकथा सूत्र 117 165. देखें—डिक्शनरी आफ पालि प्रापर नेम्स (मलाल शेखर) खण्ड 2, पृ. 882, 883 166. महाभारत, स्त्रीपर्व अध्याय 2 से 7 167. ऋषिभाषित अठारहवाँ अध्ययन 168. स्थानांग सूत्र 643 ऋषिभाषित : एक अध्ययन 123
SR No.006236
Book TitleRushibhashit Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar, Sagarmal Jain, Kalanath Shastri, Dineshchandra Sharma
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2016
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size33 MB
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