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________________ 106. अपादान अट्ठकथा खण्ड 2 पृष्ठ 456 107. ऋषिभाषित आठवां अध्ययन 108. ऋषिभाषित नवां अध्ययन 109. सूत्रकृतांग 1.2.27 110. भगवतीसूत्र 550 111. उत्तराध्ययन चूर्णि पृ. 168 112. अन्तकृत्दशा सूत्र 12 113. अंगुत्तरनिकाय खण्ड 1 पृष्ठ 23 (पालि टैक्स्ट सोसाइटी) 114. आदि पर्व 42/33 115. शतपथब्राह्मण 7.5.1.5 116. तैत्तिरीय आरण्यक 2 /18, 10/1, 8 117. ऋषिभाषित अध्याय 10 118. ज्ञाताधर्मकथा 1/14 119. विपाकसूत्र सूत्र 32 120. विशेषावश्यक भाष्य गाथा 3332 121. सूत्रकृतांग चूर्णि पृ. 28 122. स्थानांग सूत्र 755 123. ऋषिभाषित 11वां अध्ययन 124. भगवतीसूत्र 540 125. उपासकदशा 6/20, 21, 23, 28; 7 / 8, 11, 42-45 ( लाडनूं) 126. आवश्यकनिर्युक्ति गाथा 474 127. विशेषावश्यक भाष्य गाथा 1928 128. आवश्यकचूर्णि पृ. 282 129. दीघनिकाय प्रथम पृ. 53 (पा. टै. सो.) 130. थेरगाथा 23 131. महाभारत शान्तिपर्व अ. 177 132. ऋषिभाषित 12वां अध्ययन 133. शतपथ ब्राह्मण 9/7; देखें वैदिक कोश (वो. एच. यू. 1932) पृष्ठ 428 134. शांखायन आरण्यक 13 / 1; देखें वही पृष्ठ 428 135. बृहदारण्यक उपनिषद् 2/4 / 1, 3 /5 / 1; देखें वही पृ. 428 136. महाभारत सभापर्व 4 / 12, 33 / 35, शान्तिपर्व 310-318 137. एतं वै तमात्मानं विदित्वा ब्राह्मणः पुत्रैषणायाश्च वित्तैषणायाश्च लोकैषणायाश्च व्युत्थायाथ भिक्षाचर्याचरन्ति या ह्येव पुत्रैषणा सा वित्तैषणा या वित्तैषणा सा लोकैषणोभे ह्येते एष एव भवतः । —बृहदारण्यकोपनिषद् 3 /5 / 1 122 इसिभासियाई सुत्ताई
SR No.006236
Book TitleRushibhashit Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar, Sagarmal Jain, Kalanath Shastri, Dineshchandra Sharma
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2016
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size33 MB
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