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________________ રૂÝä अपभ्रंश-साहित्य कृत और संस्कृत में भी अनेक लेखकों ने 'धर्म परीक्षा' लिखी हैं । ' 1 हरिषेण ने अपनी धम्मपरिक्खा अमित गति की धर्म परीक्षा (संस्कृत) से २६ वर्ष पूर्व लिखी । दोनों में पर्याप्त समानता है । अनेक कथायें, पद्य और वाक्य दोनों में समान रूप से मिलते ह । किन्तु फिर भी जब तक हरिषेण द्वारा निर्दिष्ट जयराम की धर्म-परीक्षा की जाँच न हो, इस परिणाम पर नहीं पहुँच सकते कि किसने किसको प्रभावित किया। संभवतः दोनों का स्रोत जयराम की धर्म-परीक्षा हो । २ धम्म परिखा में कवि ने ब्राह्मण धर्म पर व्यंग्य किया है। उस धर्म के अनेक पौराfor आख्यानों और घटनाओं को असंगत बताते हुए, जैन धर्म के प्रति आस्था और श्रद्धा उत्पन्न करने का प्रयत्न किया है। 3 प्राकृत में हरिभद्र सूरि ( ८ वीं शताब्दी) रचित धूर्त्ताख्यान, ३ विषय की दृष्टि सिद्धि पुरंधिहि कंतु, सुद्धे तणुमय वयणं । भत्तिए जिणु पणवेवि, चितिउ बुह हरिसेणें ॥ मर्णय जम्मिं बुद्धिए कि किज्जइ, मणहर जाइ कव्वु ण रइज्जइ । तं करंत अवियाणिय आरिस, हासु लहहि भड रणि गय पोरिस । चमुह कव्वु विरयणि संयंभुवि, पुप्फयंतु अण्णाणु णिसंभिवि । तिण्णि वि जोग्ग जेण तं सीसइ, चउमुंह मुह थिय ताव सरासइ । जो सयंभ सो देउ पहाण, अह कह लोयालोय वियाणडं । पुप्फयंतु णउ माणुसु वुच्चइ, जो सरसइए क्या विण मुच्चइ । ते एवंविह हउ जड माणउ, तह छंदालंकार विहीणउ । कव्यु करंतु के मण बि लज्जमि, तह बिसेस पिय जण कि हरंजमि । तो वि जिंणिद धम्म अणुरायइ, वह सिरि सिद्धसेण करमि सयं जिह णलिणि वलथिउ जलु, अणुहरेइ णित्तुलु सुपसाई । मुत्ताहलु । घसा- जा जयरामें आसि विरइय गाह पबंधि । सा हम्मि धम्म परिक्ख सा पद्धडिय बंधि || ध० प० १-१ १. जिन रत्न कोश, भाग १, संपादक प्रो० हरि दामोदर वेलणकर, भंडारकर ओरियंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट, पूना, १९४४ ई०, पृ० १८९ । २. डा० आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, हरिषेण की धम्म परिक्खा, एनल्स आफ भंडारकर ओरियंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट, भाग २३, पृ० ५९२-६०८ । ३. धूर्त्ताख्यान, संपादक प्रो० आ० ने० उपाध्याय, बंबई, १९४५ ई० । धूर्ताख्यान की कथा संक्षेप में इस प्रकार है--चार घूर्त पुरुष और एक धूर्त स्त्री अपने-अपने जीवन के असंगत, असंभव तथा असंबद्ध अनुभवों का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन करते हैं। अपने जीवन की अविश्वसनीय घटनाओं की रामायण, महाभारतादि में वर्णित अनेक कपोल-कल्पित मिथ्या घटनाओं से पुष्टि करते हैं ।
SR No.006235
Book TitleApbhramsa Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarivansh Kochad
PublisherBhartiya Sahitya Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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