________________
२९९
अपभ्रंश मुक्तक काव्य--१ आधिभौतिक उपदेश प्रधान रचनाओं की निम्नलिखित विशेषतायें हैं
१. इस प्रकार की रचना करने वालों का मुख्य लक्ष्य था समाज के स्तर को ऊँचा करना और समाज में सदाचारमय जीवन की प्रतिष्ठा करना। एतदर्थ इन उपदेशकों ने अधिकतर धर्म, नीति, उपदेश, स्तुति आदि को ही अपनी रचना का विषय
बनाया है।
२. इनके उपदेश अधिकतर गृहस्थों के लिए थे अतः उनके योग्य कर्तव्यों का उपदेश इनकी रचनाओं में मिलता है। इनका विचार है कि माता पिता की सेवा करना अन्य धर्मावलम्बी होने पर भी उनका आदर करना, उनकी आज्ञा का पालन करना, बन्धु-बान्धवों का परस्पर एकता से रहना इत्यादि उपदेशों का पालन करने से एक गृहस्थ सद्गृहस्थ बन सकता है। ___३. गृहस्थियों के लिये पूजा पाठ आवश्यक है एतदर्थ मन्दिरों तथा पूजास्थानों के विधि-विधानों का निर्देश भी इन्होंने किया है।
४. इन उपदेशकों ने गृहस्थियों को धर्म का पालन करते हुए सुख प्राप्त करने का आदेश दिया है । इसी कारण गृहस्थाश्रम और स्त्री की अनुचित निन्दा इनके उपदेशों में नहीं मिलती।
५. इन उपदेशकों ने यद्यपि गृहस्थों को प्रवृत्तिमार्ग का उपदेश दिया किन्तु गृहस्थ में रहते हुए भी कर्मों से अलिप्त रहने की ओर भी निर्देश किया है । भोगमय जीवन बिताते हुए भी दानादि की प्रशंसा करते हुए उन्हें त्यागमय जीवन व्यतीत करने का उपदेश दिया है। __ इस प्रकार इन माधकों और उपदेशकों की भावना निरन्तर आगे बढ़ती गई । जिसका प्रभाव आगे चल कर हिन्दी साहित्य के संतों, भक्त कवियों और नीतिकारों में दिखाई देता है।