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________________ अपभ्रंश साहित्य उपदेश रसायन रास ' उपदेश रसायन रास जिनदत्त मूरि की रचना है। यह जिन वल्लभ सूरी के शिष्य थे । यह संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश के विद्वान् थे । अपभ्रंश के अतिरिक्त संस्कृत और प्राकृत में भी इन्होंने ग्रंथ लिखे । इनका जन्म वि० सं० १९३२ में हुआ था। इन का जन्म का नाम सोमचन्द्र था । बाल्यावस्था से ही इनकी प्रतिभा दिखाई देने लगी थी । जिन वल्लभ के मरणोपरान्त इन्होंने सूरि पद और जिनदत्त नाम प्राप्त किया। मरु देश, २८८ सप्प (पंजाबी) घड वडह पडिउ जगि (जग में) हक्कारउ - हरकारा बबूल लहंति कूव दीवि पोट्ट बोरिहि बर्लत) छित कंजिय हलुव धत्तूरिय तलाउ गेहू जाइ रुक्खडा आरतिअ साँप घट-घड़ा वट का, बड़ का पतित, पड़ा घरु (घर) ८७ अज्जु - आज, कल्लि-कल ८८ बबूल लभते कूप दीये पेट बेरों से ज्वलंत (पंजाबी) जलना स्पृष्ट (छूत) कांजी हलका, लघुक धत्तरिक, धतूरा पीने वाला तलाब, तडाग से गेह, गृह याति ६५ ८१ ९० वृक्ष आरती, आरात्रिक चन्द्रोपक, चंदोआ ९४ ९६ ९९ १२६ १०६ ११० १२१ १३१ १३३ १३४, १३५ १३६ १७० १८४ १८८ १९० १९६ १९८ चंदोव १. ला० भ० गान्धी द्वारा संपादित, अपभ्रंश काव्यत्रयी ओरियंटल इंस्टिट्यूट, बड़ौदा, सन् १९२७, में इनकी तीनों रचनाओं का संग्रह है ।
SR No.006235
Book TitleApbhramsa Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarivansh Kochad
PublisherBhartiya Sahitya Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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