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________________ अपभ्रंश-खंडकाव्य (लौकिक) २६३ मसीदा भर रहे थे अर्थात् मसविदा (draft) तैयार कर रहे थे और कोई किताबें पढ़ रहे थे। सुल्तान इब्राहीम की सेना के प्रयाण के वर्णन में छन्द योजना भावानुकूल हुई है। सेना के प्रयाण का प्रभाव भी सुन्दरता से अभिव्यक्त हुआ है। "चलिअ तकतान सुरुतान इबराहिमओ, कुरुम भण धरणि सुण रणि वल नाहि मो। गिरि टरइ महि पडइ नाग मन कंपिआ, तरणि रथ गगन पथ धूलि भरे मंपिआ । तवल शत बाज कत भेरि भरे फुक्किआ, प्रलय घण सद्द हुअ पर रव लुक्किा । खग्ग लइ गव्व कइ तुलुक जव जुज्झइ, अपि सगर सुरनअर संक पलि मुज्झइ। सोखि जल किअउ थल पत्ति पअ भारहीं, जानि धुअ संक हुअ सअल संसारहीं।" (वही पृष्ठ ६४-६५) अर्थात् सुल्तान की सेना के प्रयाण के समय कूर्म पृथ्वी से बोला कि हे पृथ्वी ! सुन मुझ में युद्ध को सहने का बल नहीं। उस समय पर्वत टलने लगे, पृथ्वी गिरने लगी, शेष नाग का फन कंपित हो उठा, आकाश में सूर्य के रथ का मार्ग धूलि भार से ढक गया। सैकड़ों तबले बजने लगे, कितनी ही भेरियाँ बजने लगीं। प्रलय धन-गर्जन-सा शब्द हुआ, मनुष्यों का कोलाहल विलीन हो गया।...... तलवार लेकर गर्व से जब तुर्क युद्ध करता है तब सारा सुर नगर भयभीत हो मूच्छित हो जाता है। पदातियों ने पैरों के भार से ही जल को सुखाकर स्थल कर दिया, यह जान सारा संसार निश्चय ही सशंकित हो गया। ___ इसी प्रकार के युद्धोत्साह से भरे हुए स्वाभाविक वर्णन (वही पृष्ठ ९६,१०२,१०४) कवि ने प्रस्तुत किये हैं। इसी प्रसंग में युद्ध जनित जुगुप्सा भाव का दृश्य (वही पृष्ठ १०६) भी सामने आ जाता है। कीर्तिसिंह के साथ असलान का युद्ध कीर्तिसिंह की वीरता का एक सुन्दर उदाहरण है तहि एक्कहि एक्क पहार पले, जहिं खग्गहि खग्गहि धार धरे। . हअ लग्गिय चंगिम चारु कला, तरवारि चमक्कइ विज्जु झला। टरि टोप्परि टुट्टि शरीर रहे, तनु शोणित धारहिं धार वहे। तनुरंग तुरंग तरंग बसे, तनु छड्डइ लग्गइ रोस रसे। सव्वउँ जन पेक्खइ जुज्झु कहा, महभावइ अज्जुन कन्न जहा। (वही पृ० ११०) एक दूसरे पर प्रहार होने लगे, तलवार तलवार की धार को रोकने लगी। सुन्दर
SR No.006235
Book TitleApbhramsa Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarivansh Kochad
PublisherBhartiya Sahitya Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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