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अपभ्रंश-साहित्य छ---कवि ने महाकाव्यानुकूल प्रत्येक सन्धि में भिन्न प्रकार के छन्द का प्रयोग क्रिया है । यद्यपि सन्धि के प्रत्येक कड़वक में छन्द योजना परिवर्तित नहीं तथापि कड़वक के आदि का छंद प्रायः प्रत्येक सन्धि में भिन्न है। ८वीं सन्धि के वें कड़बक में कवि ने दुवई युग्म का प्रयोग किया है जिसमें दाम यमक श्रृंखला यमक भी प्रयुक्त है । दुबई युग्म जिस शब्द से समाप्त होता है उसी शब्द से दूसरा दुवई युग्म प्रारम्भ होता है (जैसे म. पु० पृष्ठ १२८)। कवि ने मात्रिक छन्दों का अधिकता से प्रयोग किया है। छन्द चाहे मात्रिक हों चाहे वणिक सब में अन्त्यानुप्रास (तुक) का प्रयोग मिलता है।
भल्ल-भद्र रहट्ट-अरहट २७.१.४ रंगह-रींगता है ४.१.११ रंडिय-विधवा हुई १७. ९.१० रोल-कोलाहल १४. ५. ९ लोह-रेखा, पंजाबी लोख
कसेर-तृण १. ३. १२ । गिल्ल-गीला
२९. ५.३ चक्खइ-खाता है, चखता है
२. १९. ४ घडइ-चढ़ता है २.१६.१ चंग-अच्छा
९.४.१४ चुक्कइ-चूकता है ४. ८. ५ छंडइ-छोड़ता है ७. १९. १५ छिवइ-छूता है ४. ५. १३ छिक-छिक्का २६. ४. २ 'जेवइ-खाता है १८.७.११ जोक्खइ-तोलता है ४. ५. ५ झपउ-आँखें बन्द करना
. १२.१२. ५
२५. ८.९ डंकिय-दष्ट ३०. १२.८ डाल--शाखा १. १८.२ डोल्लइ-काँपना ४. १८. २.
१५. १८.३ पत्तल-पतला १७. १०. १ पलठ्ठिअ-परिवर्तित ३३. ६. १३ पासुलिया-पसलियाँ ७. १२.४ पाहुण-पाहुना २४. १०.७ बुक्करइ-भौंकता है ७. २५. ५ बुड्डइ-डूबता है ३३.११. ११ बोल्लइ-बोलता है ८. ५. १७ भंउहा-भों
५२. ८.२॥
लुक्क-छिपना, पंजाबी लुकना
९. १४. १२ ढलइ-गिरता है ८. ९. १२ ढंकइ-ढांकता है. १. १३.१० दिल्लीहूय-शिथिल, ढीला होकर
३२. ३.५ तिया-स्त्री
१. १५.४ तोंद-उदर २०. २३.३ दाढा-दंष्ट्रा १८. १. १५ दोर-सूत्र, डोरा २. १६. २ पञ्चछाउहुं-पश्चान्मुख ३३. ११.३ भिडिअ-सामने भिड़ा १७. १. १ भुक्कइ-भौंकता है १.८.७ भोल-भोला
२. २०.७ साडी साड़ी १२.५.३ सिप्पि--सीप सोण्णार-सुनार ३१.७. २ हट्ट--हाट पंजाबी १.१६. १ हल्लइ-कांपता है, हिलता है
१४. ५. १२