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सत्य.
फाल्यो नहि. पछी ते देवे अवधिज्ञानना उपयोगवडे जोयुं तो कामदेवने मेरुना शिखरनी पेरे अडोळ रह्या दीठा. कामदेवनी अद्भूत निश्चलता जाणी तेने विनयभावथी प्रणाम करी पोतानो दोष क्षमावीने ते देवता स्वस्थानके गयो. ____ कामदेव श्रावकनी धर्मदृढता एवो बोध करे छे के सत्यधर्म अने सत्यप्रतिज्ञामां परम द्रढ रहेवू, अने कायोत्सर्ग आदि जेम बने तेम एकाग्र चित्तथी अने सुद्रढताथी निर्दोष करवां. चळविचळ भावथी कायोत्सगादि बहु दोषयुक्त थाय छे. पाई जेवा द्रव्यलाभ माटे धर्मशाख काढनारथी धर्ममां द्रढता क्याथी रही शके ? अने रही शके तो केवी रहे ! ए विचारतां खेद थाय छे.
शिक्षापाठ २३ सत्य.
सामान्य कथनमां पण कहेवाय छे के सत्य ए आ जगत्नु धारण छे. अथवा सत्यने आधारे आ जगत् रहुं छे. ए कथनमांथी एवी शिक्षा मळे छे के धर्म, नीति, राज अने व्यवहार ए सत्यवडे प्रवर्तन करी रह्यां छे अने ए चारे न होय तो जगत्नुं रुप केवु भयंकर होय ? ए माटे सत्य ए जगत्न धारण छे एम कहेवू ए कंइ अतिशयोक्ति जेवू के नहि मानवा जेवू नथी.. ___ वसुराजानुं एक शब्दनुं असत्य बोलवू केटलं दुःखदायक थयुं हतुं ते प्रसंग विचार करवा माटे अहीं कहीशुं.
वसुराजा, नारद अने पर्वत ए त्रणे एक गुरु पासेथी विद्या भण्या हता. पर्वत अध्यापकनो पुत्र हतो; अध्यापके काळ कों. एथी पर्वत तेनी मा सहीत वसुराजाना दरबारमा आवी रह्यो हतो. एक रात्रे तेनी मा पासे बेठी छ; अने पर्वत तथा नारद शास्त्रा