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मोक्षमाळा- पुस्तक बीजं.
शकटचक्र जेम आरावडे करीने रधुं छे तेम संसार शंका प्रमादादिक आराधी टक्यो छे. एम अनेक प्रकारथी शकटचक्रनी उपमा पण संसारने लागी शके छे.
एव ते संसारने जेटली अधोपमा आपो एटली थोडी छे. मुख्यपणे ए चार उपमा आपणे जाणी, हवे एमांथी तत्व लेवं योग्यछे.
१. सागर जेम मजबुत नाव अने माहितगार नाविकथी तरीने पार पमाय छे तेम सदधर्मरुपी नाव अने सद्गुरुरूपी नाविकथी संसारसागर पार पामी शकाय छे. सागरमा जेम डाह्या पुरुषोए निर्विघ्न रस्तो शोधी काट्यो होय छे तेम जिनेश्वर भगवाने तत्वज्ञानरुप निर्विघ्न उत्तम राह बताव्यो छे.
२. अग्नि जेम सर्वने भक्ष करी जाय छे, परंतु पाणीथी बुझाइ जाय छे ते वैराग्यजळथी संसारअग्नि बुझवी शकाय छे.
३. अंधकारमां जेम दीवो लइ जवाथी प्रकाश थतां, जोइ शकाय छे तेम तत्वज्ञानरुपी निर्बुज दीवो संसाररूपी अंधकारमां प्रकाश करी सत्य वस्तु बतावे छे.
४. शकटचक्र जेम बळद विना चाली शकतुं नथी तेम संसार - चक्र राग, द्वेष विना चाली शकतुं नथी.
एम ए संसारदरदनुं निवारण उपमावडे अनुपानादि प्रतिकार साथै कहूंं. ते आत्महितैषिए निरंतर मनन कर अने बीजाने बोधवं.
शिक्षापाठ २१ बार भावना.
वैराग्यनी, अने तेवा आत्महितैषि विषयोनी सुद्रढता थवा माटे बार भावना चिंतववानुं तत्वज्ञानीओ कहे छे.
१. शरीर, वैभव, लक्ष्मी, कुटुंब परिवारादिक सर्व विनाशी छे;