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संसारने चार उपमा भाग २. २७ २. संसारने बीजी उपमा अग्निनी छाजे छे. अग्निथी करीने जेम महातापनी उत्पत्ति छे. एम संसारथी पण त्रिविध तापनी उत्पत्ति छे. अग्निथी बळेलो जीव जेम महा विलविलाट करे छे तेम संसारथी बळेलो जीव अनंत दुःखरुप नर्कथी असह्य विलविलाट करे छे. अग्नि जेम सर्व वस्तुनो भक्ष करी जाय छे, तेम संसारना मुखमां पडेलांनो ते भक्ष करी जाय छे. अग्निमां जेम जेम घी अने इंधन होमाय छे तेम तेम ते वृद्धि पामे छे. तेवीज रीते संसाररुप अग्निमां तीव्र मोहिनीरुप घी बने विषयरुप इंधन होमातां ते वृद्धि पामे छे.
३. संसारने त्रीजी उपमा अंधकारनी छाजे छे. अंधकारमा जेम सींदरी, सर्पनुं भान करावे छे तेम संसार सत्यने असत्यरुप बतावे छ; अंधकारमा जेम प्राणीओ आम तेम भटकी विपत्ति भोगवे छे तेम संसारमा बेभान थइने अनंत आत्माओ चतुर्गतिमा आम तेम भटके छे. अंधकारमा जेम काच अने हीरानुं ज्ञान थतुं नथी तेम संसाररुपी अंधकारमा विवेक अविवेकनुं ज्ञान थतुं नथी. जेम अंधकारमा प्राणीओ छती आंखे अंध बनी जाय छे तेम छती शक्तिए संसारमा तेओ मोहांध बनी जाय छे. अंधकारमा जेम घुवड इत्यादिकनो उपद्रव वधे छे तेम संसारमा लोभ, मायादिकनो उपद्रव वधे छे. एम अनेक भेदे जोतां संसार ते अंधकाररुपज जणाय छे.
शिक्षापाठ२०संसारने चार उपमा भाग २.
४. संसारने चोथी उपमा शकटचक्रनी एटले गाडांना पैडांनी छाजे छे. चालतां, शकटचक्र जेम फरतुं रहे छे तेम संसारमा प्रवेश करतां ते फरतां रुपे रहे छे. शकटचक्र जेम धरी विना चाली शकतुं नथी तेम संसार मिथ्यात्वरुपी धरी विना चाली शकतो नथी.