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________________ सुगम लखवो के, जे प्रथम भूमिकाना मनुष्योनी पहेलांनी प्रवेशक भूमिकाना मनुष्योने उपयोगी थाय.. - एटले के, मोक्षमाळानी श्रेणिना चार पुस्तको थवा योग्य हता. एक प्रवेशक भूमिका माटे, बीजं आ 'बालावबोध ' छे तेज रुपे, त्रीजु विवेचन भाग' रुपे अने चो) 'प्रज्ञावबोध भाग'रुपे. पण दुर्भाग्ये श्रीमान् राजचंद्रनो मात्र बत्रीश वर्षनी तरुण वये देहोत्सर्ग -थतां तेवू कांइ-पण न थवा पाम्यु. छतां दिलासानो विषय एटलो छे के, आ 'बालावबोध' खंड दिनप्रतिदिन लोकप्रिय थतोज जाय छे. जेनुं प्रमाण आ चतुर्थ आवृत्तिनुं प्रकाशन छे. - सामान्य वाचक सृष्टिमां आ पुस्तकनो उपयोग थाय छे एटलुंज नहीं, पण घणी ज्ञानशाळाओना व्यवस्थापकोए विद्यार्थीओने तेनुं नियमित शिक्षण आपवानो प्रबंध कयों छे. - आ चतुर्थ आवृत्ति अमदावाद निवासी भाई पुंजाभाइ हीराचंदना द्रव्यव्ययथी प्रकट थाय छे. भाई पुंजाभाईना एकना एक पुत्र भाइ कचराभाइ के जेनी मात्र तेर चउद वर्षनी बालवये स्वर्गवास थतां पुत्र स्मरणार्थे तेओए आ आवृत्ति वहार पाडवा द्रव्यव्यय कर्यो छे. संसारी मनुष्यनी सर्व आशाओरुप एकना एक पुत्रना वियोगे पण मनने केवी दिशामां लइ जदूं एनो अभ्यास भाई पुंजाभाईनी मनप्रवृत्तिपरथी आपणे करी शकीए छीए. जैन सूत्रो तेना मूल-टीका अने तेना भाषां. तरो साथे प्रकट करवाने माटे तेओए जे योजना करावी छे, अने जेने अंगे जिनागममा विशेष प्रसिद्ध एवं 'भगवती सूत्र' तैयार थाय छे ते भाई कचराभाइना देहत्याग पछीनी भाई पुंजाभाईनी मनप्रवृत्तिनुं एक प्रमाण छे. आशा राखवामां आवे छे के, आ चतुर्थ आवृत्ति पण पूर्वनी त्रण आवृत्तिओनी पेठे लोकरुचि तृप्त करशे. दादीना बील्डींग्स, ) झवेरी बजार,-मुंबई. मनसुखलाल रवजीभाई महेता. ।' ता. ५-४-१९१५. ।
SR No.006234
Book TitleBalavbodh Mokshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Ravjibhai Mehta
PublisherMansukhlal Ravjibhai Mehta
Publication Year1915
Total Pages188
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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