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कर्मना चमत्कार
शिक्षापाठ ३ कर्मना चमत्कार. हुं तमने केटलीक सामान्य विचित्रताओ कही जाउं छउँ ए उपर विचार करशो तो तमने परभवनी श्रद्धा द्रढ थशे.
एक जीव सुंदर पलंगे पुष्पशय्यामां शयन करे छे, एकने फाटेल गोदडी पण मळती नथी; एक भातभातनां भोजनोथी तृप्त रहे छे, एकने काळी जारना पण सांशा पडे छे एक अगणित लक्ष्मीनो उपभोग ले छे, एक फुटी बदाम माटे थइने घेर घेर भाटके छे एक मधुरां वचनथी मनुष्यनां मन हरे छे, एक अवाचक जेवो थइने रहे छे एक सुंदर वस्त्रालंकारथी विभूषित थइ फरे छे, एकने खरा शियाळामां फाटेढं कपडं पण ओढवाने मळतुं नथी. एक रोगी छे, एक प्रबळ छे. एक बुद्धिशाली छे, एक जडभरत छे. एक मनोहर नयनवाळो छे, एक अंध छे. एक लूलो के पांगलो छे, एकना पग ने हाथ रमणीय छे. एक कीर्तिमान छे, एक अपयश भोगवे छे. एक लाखो अनुचरोपर हुकम चलावे छे, अने तेटलानाज टुंबा सहन एक करे छे. एकने जोइने आनंद उपजे छे, एकने जोतां वमन थाय छे. एक संपूर्ण इंद्रियोवाळो छे, अने एक अपूर्ण इंद्रियोवाळो छे. एकने दीन दुनियानुं लेश भान नथी, एकनां दुःखनो किनारो पण नथी.
एक गर्भाधानमा आवतांज मरण पामे छे, एक जन्म्यो के तरत मरण पामे छे, एक मुवेलो अवतरे छे अने एक सो वर्षनो वृद्ध थईने मरे छे.
कोइनां मुख, भाषा अने स्थिति सरखां नथी. मूर्ख राज्यगादीपर खमा खमाथी वधावाय छे, समर्थ विद्वानो धक्का खाय छे !
आम आखा जगत्नी विचित्रता भिन्न भिन्न प्रकारे तमे जुओ