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जेओ तेमना सहवासमां आवता तेमनामां प्रेरणा करी तेमने उन्नतिनी श्रेणिपर चडावता. तेमनी बाह्यकृति डीमाकवाळी न हती, परंतु आंतरिक शांति अने गांभीर्य तो तेमनांज हतां. तेमनुं धर्मो तथा तत्वज्ञान संबंधी विशाल अने यथास्थित ज्ञान, तेमनी समजाववानी अद्भूत शक्ति, अने उपदेश करवानी तेमनी दीत्र्य पद्धत्ति होवाथी तेमना उपदेशो पूर्ण लक्षपूर्वक सांभळवामां आवता हता. उश्केरनार संजोगो होय त्यारे पण ते मनो आत्मसंयम एटलो बधो पूर्ण हतो, तेमनी मध्यस्थ रीते समजाववानी शक्ति एटली बधी महान् हती, अने तेमनी हाजरी एटली बधी प्रेरणात्मक हती के जेओ तेमनी साथे वादविवाद करी तेमनी उपर जय मेळवावानी बुद्धिए आवता तेओ तद्दन ओथी वश थइने तेमनी आदरपूर्वक स्तुति करता जता हता.
हिंदुनी वर्तमान दशापर श्रीमद् राजचंद्रने खेद थतो अने ते दूर करवाने हमेशां इच्छा धरावता हता. वर्तमान सामाजिक अने राजकी प्रश्नोपना तेमना विचारो उदार हता. तेओ कहता के जैनोमां ज्ञातिभेद जेवुं कंड पण होवुं जोइए नहि कारण के जेटला जैनो छे तेमने एक प्रकारनुं जीवन- वर्तन राखवानुं होय छे. बधा सुधारकोमां जे 'सुधारक पवित्रतम आशयथी, अने दांभिक वृत्ति वगर सुधारानुं कार्य कर्या जाय छे तेमने श्रीमद उच्चतम पंक्ति आपता. वर्तमानकालना धर्मगुरुओनो दोष ए कारणथी काढता हता के तेओ स्वसंप्रदायना मोहथी आग्रही उपदेश करी कालना फेरफारनं लक्ष राखता नथी. पोताने प्रभुना अवतार तरीके कहेवडाववानी इच्छाथी पोतानुं खरुं कर्तव्य वारंवार भूली जाय छे अने जे शक्ति पोतानामां न होय छतां तेनो दावो करवानो गर्न राखे छे. तेना पाछलां वर्षोमां ए तो स्पष्ट जणातुं हतुं के श्रीमद् पोताना जीवननो संदेश धर्मगुरु तरीके आपवानी तैयारी करता हता. परंतु दुर्भाग्ये मरणे वचमां पडी ते संदेश पूर्ण भतां अटकाव्यो छे, छतां मुंबई इलाकामा जैनोमां एक