________________
१४४
मोक्षमाळा-पुस्तक बीजं.
शिक्षापाठ १०१ स्मृतिमा राखवायोग्य
महावाक्यो.
१. एक भेदे नियम एज आ जगत्नो प्रवर्तक छे..
२. जे मनुष्य सत्पुरुषोनां चरित्ररहस्यने पामे छे ते मनुष्य परमेश्वर थाय छे.
३ चंचळ चित्त ए सर्व विषम दुःखनुं मुळियुं छे.
४ झाझानो मेळाप अने थोडा साथे अति समागम ए बने समान दुःखदायक छे.
५ समस्वभाविनुं मळवू एने ज्ञानीओ एकांत कहे छे.
६ इंद्रियो तमने जीते अने सुख मानो ते करतां तेने तमे जीतवामांज सुख, आनंद अने परमपद प्राप्त करशो.
७ रागविना संसार नथी अने संसारविना राग नथी. ८ युवावयनो सर्व संग परित्याग परमपदने आपे छे.
९ ते वस्तुना विचारमा पहोंचो के जे वस्तु अतींद्रिय स्वरुप छे.
१० गुणीना गुणमा अनुरक्त थाआ.
-
-
-
शिक्षापाठ १०२ विविध प्रश्नो भाग १.
आजे तमने हुँ केटलांक प्रश्नो निग्रंथप्रवचनानुसार उत्तर आपवा माटे पूछु छु. कहो धर्मनी अगत्य शी छे ?