SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मोक्षमाळा-पुस्तक बीजुं. करी नथी. पतंगनी जेम दीपक प्रत्ये मोहिनी छे तेम आत्मानी संसार संबंधे मोहिनी छे. ज्ञानीओ ए संसारने क्षणभर पण सुखरूप कहेता नथी. ए संसारनी तल जेटली जग्यो पण झेर विना रही नथी. एक झुंडथी करीने एक चक्रवर्ति सुधी भावे करीने सरखापणुं रह्यं छे. एटले चक्रवर्तिनी संसार संबंधमां जेटली मोहिनी छे, तेटलीज बलके तेथी विशेष अँडने छे. चक्रवर्ति जेम समग्र प्रजापर अधिकार भोगवे छे तेम तेनी उपाधि पण भोगवे छे. मुंडने एमांनुं क\ए भोगवq पडतुं नथी. अधिकार करता उलटी उपाधि विशेष छे. चक्रवर्त्तिनो पोतानी पत्नी प्रत्येनो जेटलो प्रेम छे तेटलोज अथवा तेथी विशेष भुंडनो पोतानी भुंडणी प्रत्ये प्रेम रह्यो छे. चक्रवर्ति भोगथी जेटलो रस ले छे, तेटलोज रस भुंड पण मानी बेहुं छे. चक्रवर्तिनी जेटली वैभवनी बहोळता छे तेटलीज उपाधि छे. भुंडने एना वैभवना प्रमाणमां छे. बन्ने जन्म्यां छे अने बन्ने मरवानां छे. आम अति सूक्ष्म विचारे जोतां क्षणिकताथी, रोगथी, जरा वगेरेथी बन्ने ग्राहित छे. द्रव्ये चक्रवर्ति समर्थ छे. महा पुण्यशाळी छे. मुख्यपणे शातावेदनीय भोगवे छे. अने भुंड बिचारु असातावेदनीय भोगवी रह्यु छे. बन्नेने असाता-साता पण छे, परंतु चक्रवर्ति महा समर्थ छे. पण जो ए जीवन पर्यंत मोहांध रह्यो तो सघळी बाजी हारी जवा जेवू करे छे. भुंडने पण तेमज छे. चक्रवर्ति शलाका पुरुष होवाथी भुंडथी ए रुपे एनी तुल्यनाज नथी, परंतु आ स्वरुप छे. भोग भोगवनामा बन्ने तुच्छ छे, बन्नेना शरीर पर मांसादिकनां छेः अशाताथी पराधीन छे संसारनी आ उत्तमोत्तम पद्वी आवी रही तेमां आई दुःख, आवी क्षणिकता, आवी तुच्छता, आयु अंधपणुं ए रहुं छे तो पछी बीजे सुख सा माटे गणवू जोइए ? ए सुग्व नथी छतां सुख गणो तो जे सुख भयवाळां अने क्षणिक छे ते दुःखज छे. अनंत ताप, अनंत शोक,
SR No.006234
Book TitleBalavbodh Mokshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansukhlal Ravjibhai Mehta
PublisherMansukhlal Ravjibhai Mehta
Publication Year1915
Total Pages188
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy