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________________ धर्मपरीक्षा-१९ ३१५ त्रसा द्वित्रिचतुःपन्नहषीकाः सन्ति भेवतः। चतुविधा परिज्ञाय रक्षणीया हितैषिभिः ॥१८ आरम्भजमनारम्भं हिंसनं द्विविधं स्मृतम् । अगृहो मुञ्चति द्वधा द्वितीयं सगृहः पुनः ॥१९ स्थावरेष्वपि जीवेषु न विधेयं निरर्थकम् । हिंसनं करुणाधारर्मोक्षकाङ्क्षरुपासकैः ।।२० देवतातिथिभैषज्यपितमन्त्रादिहेतवे । न हिंसनं विधातव्यं सर्वेषामपि देहिनाम् ॥२१ बन्धभेदवधच्छेदगुरुभाराधिरोपणैः । विनिर्मलैः परित्यक्तरहिंसाणुवतं स्थिरम् ॥२२ मांसभक्षणलोलेन रसनावशतिना। जीवानां भयभीतानां न कार्य प्राणलोपनम् ॥२३ उक्त त्रस प्राणियोंमें कितने ही दो इन्द्रियोंसे संयुक्त, कितने ही तीन इन्द्रियोंसे संयुक्त, कितने ही चार इन्द्रियोंसे संयुक्त और कितने ही पाँचों इन्द्रियोंसे संयुक्त होते हैं। इस प्रकारसे उनके चार भेदोंको जानकर उनका आत्महितकी अभिलाषा रखनेवाले श्रावकोंको निरन्तर संरक्षण करना चाहिए ॥१८॥ हिंसा दो प्रकारकी मानी गयी है-एक आरम्भजनित और दूसरी अनारम्भरूप ( सांकल्पिकी)। इन दोनोंमें-से गृहका परित्याग कर देनेवाला श्रावक तो उक्त दोनों ही प्रकारकी हिंसाको छोड़ देता है, परन्तु जो श्रावक घरमें स्थित है वह आरम्भको न छोड़ सकनेके कारण केवल दूसरी-सांकल्पिकी-हिंसाको ही छोड़ता है ॥१९॥ इसके अतिरिक्त मोक्षके अभिलाषी दयालु श्रावकोंको स्थावर जीवोंके विषयमें भी निष्प्रयोजन हिंसा नहीं करनी चाहिए ॥२०॥ इसी प्रकार देवता-काली व चण्डी आदि, अतिथि, औषध, पिता-श्राद्धादि-और मन्त्रसिद्धि आदिके लिए भी सभी प्राणियोंका-किसी भी जीवका-घात नहीं करना चाहिए ॥२॥ उक्त अहिंसाणुव्रतको बन्ध-गाय-भैंस आदि पशुओं एवं मनुष्यों आदिको भी रस्सी या साँकल आदिसे बाँधकर रखना, उनके अंगों आदिको खण्डित करना, चाबुक या लाठी आदिसे मारना, नाक आदिका छेदना, तथा असह्य अधिक बोझका लादना; इन पाँच अतिचारोंका निर्मलतापूर्वक परित्याग करनेसे स्थिर रखा जाता है ॥२२॥ अहिंसाणुव्रती श्रावकको रसना इन्द्रियके वशमें होकर मांस खानेकी लोलुपतासे भयभीत प्राणियोंके-दीन मृग आदि पशु-पक्षियोंके-प्राणोंका वियोग नहीं करना चाहिए ॥२३॥ १९) अ इ सगृही । २०) अ विधेयं न । २१) ड देवतादिषु । २२) अ भेदव्यवच्छेद ।
SR No.006233
Book TitleDharm Pariksha
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
Author
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1978
Total Pages430
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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