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________________ आरती जय वागीश्वरी माता, जय जय जननी माता पद्मासनि..! भवतारीणि !, अनुपम रस दाता.. जय...१ हंसवाहिनी जलविहारिणी, अलिप्त कमल समी (२) ईन्द्रादिक किन्नरने (२) सदा तुं हृदये गमा.. जय...२ तुज थी पंडित पाम्या, कंठ शुद्धि सहसा (२) यशस्वी शिशुने करतां (२) सदा हसित मुखा..... जय...३ ज्ञानध्यान दायिनी, शुद्ध ब्रह्मरूपा (२) अगणित गुण दायिनी (२) विश्वे छे अनूपमा. जय...४ उर्ध्वगामिनी मा तुं, उर्ध्वे लई जाजे .. (२) जन्म मरणने टाली (२) आत्मिक सुख देजे .. रत्नमयी हैं रूपा, सदाय ब्रह्म प्रिया (२) करकमले वीणाथी (२) शोभे ज्ञान प्रिया.. दोषो सहुनां दहता अक्षयसुख आपो...(२) साधकने ईच्छित अर्पो (२) शिशु उरने तर्पो.. ॐ आज्ञाहीनं... २. आह्वानं नैव जानामि .... ३. उपसर्गाः .. ४. सर्व मंगल.. विसर्जन मुद्रा थी ।। ॐ सरस्वति ! भगवति ! पुनरागमनाय स्वस्थानं गच्छ गच्छ स्वाहा ।। ३ वार बोली विसर्जन विधि करवी. १. इति सरस्वति महापूजन विधिः समाप्त : जय... ५ जय...६ जय...७ ૬૧
SR No.006227
Book TitlePoojan Vidhi Samput 12 Parshwa Padmavati Mahadevi Shreelakshmi Shrutdevi Sarasvati Mahapoojan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaheshbhai F Sheth
PublisherSiddhachakra Prakashan
Publication Year2009
Total Pages68
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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