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सकल-मानस-संशय हारिणी..., भवभवोर्जित-पाप निवारिणी...। सकल-सद्गुण-सन्तति धारिणी..., हरतु मे दुरितानि सरस्वती...।। ५ ।।
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१. ॐ ऐं नमः १२ वमत सामुहि प. २. ॐ क्लीं वाहिन्यै नमः १२ वणत सामुहि ५. २. ॐ ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनि...! भगवती...! ब्राह्मि ! सुंदरि...! सरस्वती देवी मम जिह्वाने
वासं कुरू कुरू स्वाहा... ३. ॐ सुमति सुरविज्झाय स्वाहा... ॐ ह्रीं श्री श्री जिनशासन शोभनायै श्री तीर्थंकर मुखांभोज वासिनी द्वादशांगी अधिष्ठायित्री श्री सरस्वती महादेव्यै जलं चंदनं... अष्टप्रारी पूरी 5२वी.
सप्तदशम पूजा नमोऽर्हत्०.. (२|| - २२२२ifत) प्रबल-वैरि-समूह-विमर्दिनी, नृपसभादिषु-मान-विवर्धिनी...। नतजनोदित-संकट-भेदिनी..., हरतु मे दुरितानि सरस्वती... ॥६ ॥ सकल-सद्गुण - भूषितविग्रहा..., निजतनु-द्युति-तर्जित-विग्रहा... | विशद-वस्त्रधरा विशदद्युतिः, हरतु मे दुरितानि सरस्वती...
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