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[०५] श्री भगवती-[अङ्ग]सूत्रम्-2
नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः
| "भगवती" मुलं एवं वृत्ति:
(अपरनाम- "व्याख्याप्रज्ञप्ति") मूलं एवं दानशेखरसूरि रचिता वृत्तिः]
[आद्य संपादक: - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ]
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D., श्रुतमहर्षि)
28/07/2017, शुक्रवार, २०७३ श्रावण शुक्ल ५
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मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[०५], अंग सूत्र-[०५] "भगवती" मूलं एवं दानशेखरसूरि-रचिता वृत्ति:
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