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________________ आगम (४२) “दशवैकालिक - मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य +चूर्णि:) अध्ययनं [२], उद्देशक , मूलं H / गाथा: [६-१६/६-१६], नियुक्ति: [१५२-१७६/१५२-१७७], भाज्यं [४...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४२], मूलसूत्र - [०३] "दशवैकालिक" नियुक्ति: एवं जिनदासगणि-रचिता चूर्णि: प्रत सूत्रांक श्रीदश वैकालिक - - R २ अध्ययन गाथा ||६-१६|| ॥८२॥ R ESC- वरि ते अंगारे परिठवेइ, सो य करीसो पहितो, दडो चाणक्को, ताहे सुंचधुणा राया विष्णीवओ-चाणक्कस्स संतियं घरं मम | अणुजाणह, अणुण्णा गओ, पच्चुवेकखमाणेण य घरं दिवो अपवरगो घट्टिओ, सुबंधू चिन्तेइ-किमवि एत्थ, कवाडे भजित्ता उग्धाडिया जाव समुग्गं मतगंध सपत्तय पेच्छइ, ते पचयं वाण्ड, तस्स ब पचगस्स एसो अस्था-जो एवं चुण्य अग्धोत सो जइ महाति वा समालभइ अलंकारेइ सीतोदगं वा पिपति महीए सेज्जाए सुबइ जाणण गच्छद गंधर्व वा सुइ एवमादी अण्णे या इट्ठा विसया सेवइ जहा साहुणो अच्छति तहा सो जइन अच्छद तो मरइ, ताहे सुबंधुणा विष्णासणत्थं अण्णो पुरिसोअग्पाइचा सद्दाइणो विसया झुंजाविओ मआ य, ताहे सुबंधूषि जीवितासाए अकामो साहू जहा तहा अच्छद, कि सुबंधू वहा अकामा अतो साह मण्णइ', एवं वरथं गंधमलंकार इत्थीओ सयणाणि य अच्छंदा अभंजमाणा य जीवा णो परिचत्तमागिणो भवति । इत्थंतरे सीसो भणइअच्छंदाजे न भुजंति एवं बहुवयण भाणियव्यं, कहं पुण एगवयणेण ण दोसो?, जहा न से चाहचि, आयरिओ मणइ-विचित्तो सुत्तनिधो भवति, सुह मुद्दोच्चारणथं गंधलाधवत्थं च काऊण न एस दोसो मवइ । एवम जमाणो कामे संकप्पसकिलिट्टताए बागीन भण्णाइ,कई पुण चागी भवति', भण्ण 'जे यकंते पिए भोए,लद्धे विम्पिट्टिकुब्बा (स.८ सिलोगो चेव बत्तव्यो, जेति अविससियाणं गण, 'कमु कान्ती' धातुः, अस्य निष्ठाप्रत्ययः क्तः अनुबंधलोपः अनुनासिकस्य ती मलोपः आगारः परगमनं, कमनीयाः कान्ताः शोभना इत्यर्थः, पिया नाम इटा, भोगा-सहादयो विसया, एत्थ सीसो पुण चापति गणु जे कंता ते चव पिया भवंति', आचार्यः प्रत्युवाच कंता नामेगे को पिया पिया णामेगे जो कंता २एगे पियावि कंतावि३ एमे जो पिया णो कंता ४, किं कारणं, कस्सवि केतसु तयुद्धी उप्पज्जा, करसह पुण अकसवि कपड़ी उप्पज्जा, अहवा जे चेव अण्णस्स कंवा ते चव %E - दीप अनुक्रम [६-१६] Reles CRECRUC4k% [87]
SR No.006205
Book TitleAagam 42 Dashvaikalik Choorni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages387
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size33 MB
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